आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम में हुए गैस रिसाव के मामले का नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने खुद संज्ञान लिया है. एनजीटी ने इस मामले में आंध्र प्रदेश के पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, पर्यावरण मंत्रालय के साथ ही विशाखापट्टनम के जिलाधिकारी को नोटिस जारी किया है. एनजीटी ने जिस कंपनी एलजी पॉलीमर्स से गैस का रिसाव हुआ, उसको तुरंत 50 करोड़ रुपये जमा कराने का आदेश दिया है.

एनजीटी ने कंपनी को भी नोटिस जारी की है. एनजीटी ने कहा है कि विशाखापट्टनम प्रशासन 50 करोड़ रुपये की धनराशि कंपनी से जमा कराया जाना सुनिश्चित करे. इस रकम का इस्तेमाल फिलहाल पर्यावरण को हुए नुकसान, लोगों की मौत और स्वास्थ्य को हुए नुकसान की भरपाई के लिए किया जाएगा. यह रकम कंपनी की आर्थिक स्थिति को देखकर ही तय किया गया है.
एनजीटी ने पांच सदस्यीय एक कमेटी के गठन का भी ऐलान किया है. इस कमेटी में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज बी शेषसयाना रेड्डी, आंध्र यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रहे प्रोफेसर रामचन्द्र मूर्ति, केमिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर फूलिपति किंग, सीएसआईआर के डायरेक्टर और सीपीसीबी के मेंबर सेक्रेट्री शामिल होंगे.
एनजीटी ने लोकल प्रशासन को भी जांच में कमेटी का सहयोग करने के आदेश दिए हैं. एनजीटी ने अपने आदेश में कहा है कि एनजीटी के 2010 के एक्ट के 14 और 15 सेक्शन के उल्लंघन को लेकर इस मामले का खुद ही संज्ञान लिया है.
जांच कमेटी विशाखापट्टनम में हुए गैस रिसाव के बाद इस बात की भी जांच करेगी कि वहां की हवा, पानी और मिट्टी पर गैस रिसाव के बाद क्या असर पड़ा है.
एनजीटी ने कहा है कि इस मामले में इस बात की भी जांच की जाए कि लापरवाही किस स्तर पर हुई, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के लिए कंपनी और प्रशासन की लापरवाही के लिए क्या सख्त कदम उठाए जाने की जरूरत है.
एनजीटी ने सख्त कार्रवाई को जरूरी बताते हुए कहा है कि जिस तरह से गैस रिसाव हुआ और उसमें 11 लोगों की मौत हुई, 100 से अधिक लोग गंभीर हैं, ऐसे में दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जरूरत है.
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