दो दिन पहले भेजे गए प्रस्ताव में यात्रियों की मांग का हवाला दिया गया है। माना जा रहा है कि इस संबंध में अधिकारियों के बीच मौखिक सहमति बन गई है। कागजी प्रक्रिया पूरी होते ही अगले माह से बसों का परिचालन शुरू कर दिया जाएगा। यात्रियों की सुविधा के मद्देनजर दोनों ही स्थलों से रोजाना एक साथ बसें चलाने की योजना है। लंबी दूरी (अप-डाउन 1760 किमी) का ख्याल रखते हुए हर बस में दो चालक तैनात किए जाएंगे। अभी किराया तय किया जाना शेष है ज्यादातर श्रद्धालुओं की संख्या देखते हुए दर रियायती रखने पर विचार किया जा रहा है।
पर्यटन विकास का भी ख्याल: पर्यटन विस्तार के लिहाज से उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले साल तीर्थों व प्रमुख स्थलों को बसों से जोड़ने की योजना पर कार्य शुरू किया था। इसके तहत वाराणसी से काठमांडू बस सेवा शुरू की गई। बिहार के नौ रूटों पर 21 बसों का पिछले दिसंबर में परमिट मिल चुका है। इसमें वाराणसी से गया तक बस चलाई भी जा रही है। वाराणसी परिक्षेत्र के कैंट व गाजीपुर डिपो से कानपुर होते मथुरा तक बसें चल रही हैं। जयपुर होते अजमेर तक इसे विस्तार देने में सिर्फ 250 किलोमीटर और बढ़ जाएंगे।
बस सेवा का हो रहा विस्तार: वाराणसी परिक्षेत्र के क्षेत्रीय प्रबंधक पीके तिवारी का कहना है कि वाराणसी परिक्षेत्र को छह माह में 30 एसी बसों की खेप मिली है। ऐसे में अंतरराज्यीय रूटों पर बस सेवा को विस्तार दिया जा रहा है। इसके लिए स्वीकृति मिल चुकी है। परमिट मिलते ही अजमेर बस सेवा शुरू कर देंगे।