वाराणसी में सबसे बड़े साइबर क्राइम के मामले में तीन और आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। रिटायर्ड शिक्षिका से तीन करोड़ 55 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी की वारदात को अंजाम दिया गया था। अब तक इस मामले में 18 आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है।
रिटायर्ड शिक्षिका से तीन करोड़ 55 लाख रुपये की ऑनलाइन ठगी के मामले में तीन और आरोपियों को साइबर क्राइम थाने की पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपियों की पहचान राजस्थान के अजमेर जनपद के केकड़ी थाना के मास्टर कॉलोनी, अजमेर रोड के हिमांशु वर्मा उर्फ टाइगर व दीपक वासवानी और छगनपुरा के अनंत जैन के रूप में हुई है। तीनों आरोपियों को अदालत में पेशकर जेल भेज दिया गया।
कंप्यूटर और इंटरनेट के एक्सपर्ट तीनों आरोपियों के पास से 18 मोबाइल, पांच फर्जी मुहर, चार आधार व चार पैन कार्ड, 32 डेबिट कार्ड, 25 चेक बुक, 14 सिम, दो लैपटॉप, 1.02 लाख रुपये और एक कार बरामद की गई है। इससे पहले 15 आरोपी गिरफ्तार किए जा चुके हैं। पुलिस तीनों को कस्टडी रिमांड पर लेगी। हिमांशु वर्मा सात करोड़ की साइबर ठगी के मामले में जयपुर में भी आरोपी है।
सिगरा थाना के रथयात्रा में रहने वाली शंपा रक्षित को गिरफ्तारी का भय दिखाकर ऑनलाइन हाउस अरेस्ट कर उनके साथ गत आठ मार्च को 3.55 करोड़ रुपये का फ्रॉड किया गया था। पुलिस उपायुक्त (अपराध) चंद्रकांत मीणा ने बताया कि एडीसीपी (अपराध) टी. सरवनन के नेतृत्व में साइबर क्राइम थाना प्रभारी विजय नारायण मिश्र और उनकी टीम के इंस्पेक्टर राज किशोर पांडेय, इंस्पेक्टर अनीता सिंह, एसआई सतीश सिंह और हेड कांस्टेबल श्याम लाल गुप्ता व आलोक कुमार सिंह की टीम 15 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है।
पूछताछ में सामने आया कि बेनिफिशियरी खातों के इंटरनेट बैंकिंग का एक्सेस कर मैनेजमेंट करने वाले गैंग का सरगना हिमांशु है। इस काम में उसका सहयोग दीपक और अनंत करते हैं। सर्विलांस की मदद से तीनों की लोकेशन ट्रैक कर उन्हें जयपुर से गिरफ्तार किया गया है।
सोशल मीडिया से जुटाते हैं टारगेट की जानकारी
आरोपियों ने बताया कि हम सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी जुटाते हैं कि कौन प्रतिष्ठित हैं और किसके पास अच्छा पैसा होगा। फिर, उन्हें वीडियो कॉल कर और फर्जी गिरफ्तारी वारंट भेज कर इतना डरा देते हैं कि वह व्यक्ति किसी से कुछ साझा ही न कर पाए। फिर, परिवार और बैंक खातों का विवरण लेकर आरबीआई से सत्यापन कराने की बात कह कर पैसा ठगते हैं।
1200 खातों में ट्रांसफर किए थे 55 लाख रुपये
आरोपियों ने बताया कि इस मामले में उन्हें 55 लाख रुपये मिले थे। उस पैसे को लॉटरी / गेमिंग एप जैसे तिरंगा लाटरी व दमन के पेमेंट गेटवे के 1200 यूजर्स के खातों में दो-दो मिनट में ट्रांसफर किया गया था। इससे पुलिस भ्रमित हो गई थी। हम लोगों का सबसे बड़ा उद्देश्य यह रहता है कि साइबर अपराध करने के बाद हमारी पहचान उजागर न हो और कोई साक्ष्य न मिले। इसलिए हम लोग रहने से लेकर सारा काम किराये पर ही करते हैं।
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