New Delhi : कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े जमीन आवंटन घोटाले की जांच के लिए सीबीआइ की टीम शनिवार को बीकानेर पहुंची।
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सीबीआइ के अधिकारियों ने इस संबंध में कोलायत व गजनेर पुलिस थानों में दर्ज 18 एफआइआर की नकल लेने के साथ ही राजस्व विभाग व जिला कलेक्ट्रेट के अधिकारियों से जानकारी और आवश्यक साक्ष्य जुटाए।
टीम में शामिल दो अधिकारियों ने इस मामले को लेकर कुछ स्थानीय वकीलों से भी बातचीत की। सीबीआइ की एक टीम जोधपुर हाई कोर्ट भी गई।
जानकारी के अनुसार, जांच एजेंसी के कुछ अधिकारी सोमवार को जयपुर आकर राज्य के गृह एवं राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों से इस पूरे प्रकरण पर जानकारी लेंगे।
सीबीआइ द्वारा इस प्रकरण में प्रारंभिक तौर पर 50 लोगों से पूछताछ करने की सूची तैयार करने की बात सामने आई है। इसके बाद अगले दौर में अन्य लोगों से पूछताछ होगी।
राज्य सरकार के गृह विभाग की ओर से सीबीआइ को जांच की सिफारिश वाले पत्र में कहा गया था कि तत्कालीन अशोक गहलोत सरकार बीकानेर के कोलायत और गजनेर क्षेत्र में सोलर पार्क व सिरेमिक हब बनाने की योजना बना रही थी।
इस बात की जानकारी पहले ही रॉबर्ट वाड्रा को दे दी गई और लाभ कमाने के लिए उनकी कंपनी ने यहां कम दामों में जमीन खरीदी। तत्कालीन सरकारी अधिकारियों ने जमीन दिलाने में मदद भी की।
फायरिग रेंज के विस्थापितों के नाम से जमीन के फर्जी आवंटन का खेल 2006 से शुरू हुआ। उस समय राजस्व विभाग से जुड़े अधिकारियों व जिला कलेक्ट्रेट के अधिकारियों ने स्थानीय भूमाफियाओं और कुछ नेताओं से मिलकर 1400 बीघा जमीन का आवंटन फर्जी नामों से करा लिया और फिर इसे बेच करते रहे। कई बार ये जमीनें बिकीं।
इसी कड़ी में 2010 में वाड्रा की कंपनी स्काई लाइट हॉस्पटैलिटी ने 275 बीघा जमीन मात्र 79 लाख रुपये में खरीद ली, जबकि इसकी वास्तविक कीमत दो करोड़ रुपये से भी अधिक बताई जा रही है। इस जमीन घोटाले को लेकर जो 18 एफआइआर कोलायत व गजनेर पुलिस थाने में दर्ज हुई उनमें से चार एफआइआर वाड्रा की कंपनी के नाम से दर्ज हुई है।
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