लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में सेंट्रल रिसर्च स्टेशन का ढांचा तैयार हो गया है। शीघ्र ही लैब में हाईटेक मशीनें लगेंगी। इसमें मॉलीक्यूलर से लेकर नैनो टेक्नोलॉजी बेस्ड कार्य होगा। यानी शरीर में बीमारियों को जन्म देने वाले जींस की खोज कर टारगेट दवाओं के जरिए खात्मा किया जाएगा।
लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. एके त्रिपाठी के मुताबिक जल्द ही ब्लड कैंसर को शुरुआती स्टेज में पकड़ा जा सकेगा। इसके लिए नेक्स्ट जेनरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस) टेस्ट शुरू होने जा रहा है। पूरा प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया है। लिहाजा मरीजों में एक्यूट मायलोमा, क्रॉनिक मायलोमा की सटीक जांच हो सकेगी। साथ ही जीन डिफेक्ट व जीन म्यूटेशन की पुष्टि कर टार्गेटेड दवा दी जा सकेगी।
नैनोटेक्नोलॉजी पर फोकस
डॉ. एके त्रिपाठी के मुताबिक जीनोमिक्स के साथ-साथ नैनोटेक्नोलॉजी पर फोकस किया जाएगा। इसके लिए डॉ. विनीता तिवारी को नामित किया गया है। ऐसे में प्रोटीयोमिक्स व मेटोबोलोमिक्स जांच पर फोकस किया जाएगा। इससे यूरिन से ही कई बीमारियों की जांच मुमकिन हो सकेगी।
रिसर्च चैंबर तैयार, आएंगी मशीनें
डॉ. एके त्रिपाठी के मुताबिक एकेडमिक ब्लॉक में सेंट्रल रिसर्च के चैंबर बन गए हैं। इसमें बायोकेमिस्ट्री, पैथोलॉजी, माइक्रोबायोलॉजी, एनॉटमी की मशीनें स्थापित हो रही हैं। वहीं मॉलीक्यूलर लैब, जीन सीक्वेंसिंग लैब, एनालिटिकल टॉक्सीकोलॉजी लैब, ड्रग लेवल टेस्टिंग लैब, साइटोजेनेटिक लैब, नैनोटेक्नोलॉजी लैब, स्टेम सेल कल्चर लैब का गठन भी किया जाएगा।