रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह एलएसी के हालातों को लेकर राज्यसभा में बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीमा विवाद अभी अनसुलझा है। चीन दोनों देशों के बीच हुए समझौतों की अनदेखी कर रहा है। वो एलएसी को नहीं मानता है।
हम किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। 15 जून को, कर्नल संतोष बाबू ने अपने 19 बहादुर सैनिकों के साथ भारत की प्रादेशिक अखंडता का बचाव करने के उद्देश्य से गलवां घाटी में सर्वोच्च बलिदान दिया।
हमारे पीएम खुद सेना का मनोबल बढ़ाने के लिए लद्दाख गए। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में लगभग 38,000 वर्ग किलोमीटर पर चीन का अवैध कब्जा जारी है।
इसके अलावा, 1963 के तथाकथित चीन-पाकिस्तान ‘सीमा समझौते’ के तहत, पाकिस्तान ने अवैध रूप से भारतीय क्षेत्र में पीओके से चीन तक एक लाख 80 हजार वर्ग किमी को सीज किया।
चीन अरुणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पूर्वी क्षेत्र में भारतीय क्षेत्र के लगभग 90,000 वर्ग किलोमीटर पर भी अपना दावा करता है। इन घटनाओं के दौरान हमारे सशस्त्र बलों के आचरण से पता चलता है कि उन्होंने उत्तेजक गतिविधियों के सामने ‘सयंम’ को बनाए रखा और भारत की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए आवश्यक रूप से ‘शौर्य’ का भी प्रदर्शन किया।