लखनऊ विश्वविद्यालय से सम्बद्ध स्नातक स्तर के महाविद्यालयों को ग्रेजुएशन के चौथे साल में प्रवेश लेने की अनुमति नहीं होगी। इसमें पढ़ने वाले छात्रों को दूसरे पीजी कॉलेज या विश्वविद्यालय में एड़मिशन लेना होगा। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत चार वर्ष का ग्रेजुएशन होता है। इसमें मल्टीपल एंट्री व एग्जिट के साथ ही 75 फीसदी से अधिक अंक लाने पर यूजी के चतुर्थ वर्ष में दाखिला मिलता है। इसके बाद बैचलर विद रिसर्च की डिग्री मिलती है। अन्यथा तीन वर्ष के बाद सिर्फ बैचलर की डिग्री दी जाती है। वहीं चार वर्ष का बैचलर करने वाले छात्रों को पीएचडी में सीधे दाखिले का मौका मिलता है। कुलसचिव संजय मेधावी ने बताया कि चार वर्षीय बैचलर प्रोग्राम सिर्फ पीजी कॉलेज ही चला सकेंगे। क्योंकि चतुर्थ वर्ष में पहुंचने वाले छात्रों को रिसर्च करनी होती है और ज्यादातर यूजी कॉलेजों में सभी विषयों की पढ़ाई नहीं होती है। कुलसचिव संजय मेधावी का कहना है कि चार वर्षीय बैचलर प्रोग्राम चलाने के लिए यूजी कॉलेजों को नए कोर्सों की सहयुक्तता लेनी पड़ेगी। जिसके लिए उन्हें सभी मानक पूर्ण करने होंगे।
एलयू द्वारा एनईपी-2020 के तहत संशोधित पीएचडी ऑर्डिनेंस तैयार किया जा रहा है। इसमें भी सिर्फ परास्नातक स्तर के महाविद्यालयों को ही पीएचडी कराने का प्रावधान रखा गया है। यानी अब यूजी कॉलेजों के पास पीएचडी कराने का अधिकार भी नहीं बचेगा।
छात्र सोच-समझकर लें इस बार एडमिशन
सत्र 2023-24 में दाखिले के लिए आवेदन कर रहे छात्रों को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि वह जिस कॉलेज में एड़मिशन ले रहे हैं वह पीजी कॉलेज है या नहीं। यह खासतौर पर उन छात्रों के लिए है जो भविष्य में रिसर्च संबंधित क्षेत्र में आगे बढना चाहते हैं।
छात्रों को मिली नौकरी
एलयू के 11 विद्यार्थियों को नौकरी मिली है। इसमें सांख्यिकी विभाग के पांच और आईएमएस के छह छात्रों के नाम हैं। इनका चयन मर्सर और एंटाल इंटरनेशनल नेटवर्क कंपनी ने किया है। चयनितों को अधिकतम छह लाख रूपये सालाना का पैकेज मिला है। एलयू की सेंट्रल प्लेसमेंट सेल द्वारा प्लेसमेंट ड्राइव में ये मौके मिले।