कोरोना संकट की दूसरी लहर के दौरान होने वाली मौतों ने उनके परिवारों को झकझोर कर रख दिया है. हाल ही में उत्तर प्रदेश के लखनऊ से एक दुःख भरा मामला सामने आया है. यहां एक परिवार में एक ही दिन 5 लोगों की तेरहवीं मनाई गयी.

दुःख का यह आलम था कि परिवार के बाकी लोग सदमे में नजर आ रहे थे. किसी परिवार ने ऐसी 13वीं शायद ही देखी हो जब 5 लोगों की तस्वीर पर एक साथ श्रद्धांजलि दी जा रही है और जिसमें चार सगे भाई हों.
लखनऊ के ओमकार यादव के परिवार में यह त्रासदी इतनी बड़ी है, जिसे शब्दों में बयां किया ही नहीं जा सकता है. लखनऊ से सटे गांव इमलिया पूर्वा में कोरोना की दूसरी लहर एक सैलाब की तरह आई और पूरे परिवार को उजाड़ कर ले गई. हंसते खेलते इस परिवार में 4 औरतें विधवा हो गईं. सोमवार को 13वीं थी. हालांकि 7 मौत कोरोना संक्रमण से और 1 बुजुर्ग की मौत दहशत में ह्रदय गति रुकने से हुई है.
जानकारी के मुताबिक 25 अप्रैल से लेकर 15 मई तक एक ही परिवार के 8 लोग कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर काल के गाल में समा गए. गांव के मुखिया मेवाराम का कहना है कि इस भयावह घटना के बावजूद भी सरकार की तरफ से ना ही कोई सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई और ना ही कोरोना संक्रमण की जांच अभी तक की गयी है.
मृतकों के नाम-
1- निरंकार सिंह यादव, उम्र- 40 साल,
मृत्यु- 25 अप्रैल
2- विनोद कुमार, उम्र- 60 साल,
मृत्यु- 28 अप्रैल
3- विजय कुमार, उम्र- 62 साल,
मृत्यु-1 मई
4- सत्य प्रकाश, उम्र- 35,
मृत्यु-15 मई
5- मिथलेश कुमारी, उम्र-50 साल,
मृत्यु- 22 अप्रैल
6- शैल कुमारी, उम्र-47 साल
27 अप्रैल
7- कमला देवी, उम्र- 80 साल,
मृत्यु- 26 अप्रैल
8- रूप रानी, उम्र- 82 साल,
मृत्यु- 11 मई
जिस तरीके से करना संक्रमण से इस परिवार में एक साथ 8 मौतें हुई हैं ऐसे में परिवार एक बड़ी विपत्ति का सामना करना पड़ रहा है. वहीं आरोप है कि सरकार की तरफ से अभी तक सैनिटाइजेशन तक का कार्य नहीं किया गया. न ही परिवार में कोरोना संक्रमण की जांच की गई.
जब ऑक्सीजन और बेड की जरूरत थी तब वह भी उपलब्ध नहीं हो पाया. गांव के मुखिया का कहना है कि यहां पर तकरीबन 50 लोग करना संक्रमित हुए थे और 5 लोगों की मौत भी हो जा चुकी है, लेकिन प्रशासन यहां पर नहीं पहुंचा है.
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