रैना जमील ने मजबूत इच्छाशक्ति के दम पर पाया सहायक जिलाधिकारी का पद

कहते हैं सफलता किसी की सुविधा और संसाधन की मोहताज नहीं होती। मेहनत से करने वालों की कभी हार नहीं होती। दृढ़ संकल्प और मजबूत इच्छाशक्ति हो तो कोई भी बाधा आपको आगे बढ़ने से रोक नहीं सकती है। ऐसे कई उदाहरण दुनिया में मौजूद हैं, जिन्होंने अपना ऊंचा मुकाम खुद अपनी कठिन मेहनत के बल पर हासिल किया है। ऐसे ही शख्सियतों में से एक हैं रैना जमील। झारखंड के छोटे से गांव छाताबाद की रैना जमील फिलहाल, छत्तीसगढ़ बस्तर जिले में बतौर असिस्टेंट कलेक्टर तैनात हैं।

आईएएस बनने के ख्वाब संजोए बैठी धनबाद जिले की रैना का 2016 में 882वीं रैंक पाने के कारण इंडियन इंफॉर्मेशन सर्विस में चयन हो गया था। तब उन्होंने आईआईएस सेवा को ज्वाइन कर लिया। इसके साथ ही उन्होंने अपना सपना पूरा करने के लिए 2017 में फिर सिविल सेवा परीक्षा दी, लेकिन वे प्रीलिम्स परीक्षा में ही फेल हो गईं। इससे उन्हें काफी निराशा हुई, लेकिन रैना ने हार न मानी। उन्होंने 2018 में फिर कुछ दिन अवकाश लेकर तैयारी की और सिविल सेवा परीक्षा दी। 

इस बार उनकी किस्मत और मेहनत दोनों ने बखूबी साथ दिया और आखिरकार सफलता ने उनके कदम चूमें। रैना का आईएएस के लिए चयन हो गया था। उन्हें 380वीं रैंक मिली थी। ओबीसी कोटे से होने के बावजूद रैना ने कुल 984 अंक प्राप्त किए थे। 2019 में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में आईएएस अफसर की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद रैना ने बतौर प्रशिक्षु आईएएस छत्तीसगढ़ में चार्ज संभाला। अब वह छत्तीसगढ़ बस्तर जिले में बतौर असिस्टेंट कलेक्टर तैनात हैं।

रैना की पढ़ाई और यूपीएससी की तैयारी के दौरान उन्हें अपने परिवार का बखूबी साथ मिला। सामान्यत: झारखंड को लड़कियों की शिक्षा के मामले में पिछड़े राज्यों में गिना जाता है, लेकिन रैना ने अपने कठिन परिश्रम की बदौलत न केवल यूपीएससी की परीक्षा पास की बल्कि आईएएस अधिकारी बनकर अपने गांव, शहर और राज्य का नाम भी रोशन किया है।

 पिता मोहम्मद जमील अंसारी टाटा कंपनी से सेवानिवृत्त हैं। बड़े भाई रौनक इंडियन रेवेन्यू सर्विस में हैं। छोटा भाई इंजीनियर है और छोटी बहन अभी मास्टर्स कर रही हैं। बचपन से ही परिवार ने उनको आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। रैना बताती हैं कि कभी अम्मी ने मुझे घर के कामों में नहीं लगाया। वह हमेशा मेरे लिए मोटिवेटर रहीं। गांव में सुविधाओं नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी लगन से की और आईएएस बनने की ठान ली थी।

रैना जमील विज्ञान की छात्रा थीं। यूपीएससी के लिए उन्हें आर्ट्स के विषय पढ़ने और समझने में मुश्किलें हुईं। ऐसे में उनकी मदद की आईआरएस बन चुके बड़े भाई रौनक ने की। रैना की आठवीं तक की शिक्षा गांव के एक उर्दू स्कूल से हुई। इसके बाद उन्होंने हाईस्कूल, इंटरमीडिएट पास की। जूलॉजी विषय के साथ बीएससी की।

बाद में बीएड और एमएससी भी की। अगला लक्ष्य यूपीएससी की परीक्षा पास करना था। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी थी। उन्होंने यूपीएससी परीक्षा में अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट जूलॉजी को बनाया। रैना बताती हैं उनको कॉलेज में पढ़ने के लिए रोजाना 50 किलोमीटर आना-जाना पड़ता था। कभी ऑटो, कभी बस या फिर कभी घंटों पैदल चलकर आते-जाती थीं। कई बार तो सुबह निकली तो वापस रात को ही घर पहुंच पाती थी। 

रैना कहती हैं कि यूपीएससी की परीक्षा के लिए रणनीति बेहद जरूरी होती है। आप दूसरे उम्मीदवारों का अनुभव जान सकते हैं, जो पूर्व में परीक्षा दे चुके हैं। कितने प्रश्न करने से चयन होगा या निगेटिव मार्किंग से कैसे बचा जाए यह सब जानना जरूरी है।

इसके लिए अभ्यास ही एक मात्र उपाय है। बेहतर तैयारी के लिए एनसीईआरटी की किताबों से पढ़ें। आपके बेसिक्स फंडे क्लियर होंगे तो आगे की पढ़ाई आसान हो जाएगी। बकौल, रैना सिविल सेवा परीक्षा का प्री और मेंस पास करने के लिए कम और चुनिंदा किताबें रखें। बुक्स कम रखने से एक तो रिवीजन आसान हो जाएगा और समय भी बचेगा। एक बार पढ़ना काफी नहीं होता। इसलिए छोटे-छोटे नोट्स बनाएं। ताजा घटनाक्रम और खबरों से अपडेट रहना जरूरी है। मजबूत विश्वास और पक्की तैयारी के साथ परीक्षा देंगे तो सफलता जरूर मिलेगी।

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