अमेरिका ने अपनी रक्षा प्रणाली को सशक्त बनाते हुए अंतरिक्ष सेना (US Space Force) के गठन के साथ रूस और चीन की ओर से मिल रही 21वीं सदी की रणनीतिक चुनौती को पूरा कर लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने 2020 राष्ट्रीय रक्षा प्राधिकरण अधिनियम (2020 National Defense Authorization Act) पर दस्तखत करने के साथ अंतरिक्ष सेना के गठन को अमली जामा पहना दिया है। अब अमेरिका की स्पेस आर्मी, सेना की पांच अन्य शाखाओं के साथ समान रूप से अस्तीत्व में रहेगी।
बता दें कि अमेरिकी संसद के ऊपरी सदन सीनेट ने बीते दिनों पेंटागन के सालाना रक्षा बजट पर अपनी मुहर लगा दी थी। सीनेट ने 738 अरब डॉलर (करीब 52 लाख करोड़ रुपये) के रक्षा बजट के बिल (2020 National Defense Authorization Act) को भारी बहुमत से पारित कर दिया था। आठ के मुकाबले 86 मतों से पारित नेशनल डिफेंस ऑथराइजेशन एक्ट (एनडीएए) को ह्वाइट हाउस भेजा गया था जहां राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस पर हस्ताक्षर किए जिससे अब यह कानून बन गया है। इस बजट में स्पेस फोर्स गठित करने का प्रावधान है।
ट्रंप ने इस विधेयक (2020 National Defense Authorization bill) पर दस्तखत किए जाने के मौके पर जमा हुए सेना के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि अंतरिक्ष में बहुत सी चीजें होने जा रही हैं क्योंकि स्पेस अब दुनिया का सबसे नया युद्धक्षेत्र बन गया है। अब सेना, वायु सेना, नौसेना, मरीन एवं तटरक्षक बल के बाद अंतरिक्ष सेना अमेरिकी सेना की छठी ताकत होगी। अमेरिकी रक्षा मंत्री मार्क एस्पर ने आगामी समय में चीन और रूस को शीर्ष दो चुनौतियां बताते हुए कहा कि अंतरिक्ष-आधारित क्षमताओं पर अमेरिका की निर्भरता नाटकीय रूप से बढ़ी है।
दरअसल, रूस ने बीते दिनों अंतरिक्ष से संचालित होने वाले अपने मिसाइल वार्निग सिस्टम का खुलासा किया था। इस सिस्टम का नाम कुपोल है जिसका मतलब गुंबद होता है। यह अंतरिक्ष से ही बैलेस्टिक मिसाइल पर छोड़े जाने वाले स्थान से नजर रखेगा। इस सिस्टम के तहत चेतावनी देने वाले तीन सेटेलाइट रूस ने पहले ही छोड़ रखे हैं। टुंड्रा नाम के ये सेटेलाइट 2015 से अंतरिक्ष में कार्यरत हैं। माना जा रहा है कि अमेरिका ने अपनी स्पेस फोर्स का गठन स्पेस में रूस के बढ़ते दबदबे को ध्यान में रखते हुए किया है।