रुद्राक्ष ही एक मात्र ऐसा फल है जो अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष प्रदान करने में कारगर माना जाता है। शिवपुराण, पद्मपुराण, रुद्राक्षकल्प, रुद्राक्ष महात्म्य आदि ग्रंथों में रुद्राक्ष की अपार महिमा बतायी गई है। रुद्राक्ष यूं तो कोई भी हो वह लाभकारी होता है लेकिन मुख के अनुसार इसका महत्व अलग-अगल बताया गया है। प्रत्येक रुद्राक्ष के ऊपर धारियां बनी रहती हैं, इन धारियों को रुद्राक्ष का मुख कहते हैं।
इन धारियों की संख्या 1 से लेकर 21 तक हो सकती है्, इन्हीं धारियों को गिनकर रुद्राक्ष का वर्गीकरण 1 से 21 मुखी तक किया जाता है। यानी रुद्राक्ष में जितनी धारियां होंगी, वह उतना ही मुखी रुद्राक्ष कहलाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार जिस घर में रुद्राक्ष की नियमित पूजा होती है वहां अन्न, वस्त्र, धन-धान्य की कभी कमी नहीं रहती है। ऐसे घर में लक्ष्मी का सैदव वास रहता है। माना जाता है कि रुद्राक्ष को हमेशा धारण करने वाला और इसकी पूजा करने वाला अंत काल में शरीर को त्यागकर शिवलोक में स्थान प्राप्त करता है।
पुराणों में उल्लेख है कि सती के देह त्याग पर शिव जी को बहुत दुःख हुआ और उनके आंसू अनेक स्थानों पर गिरे जिससे रुद्राक्ष उत्पन्न हुआ है। इसलिए रुद्राक्ष धारण करने वाले के सभी कष्ट भगवान हर लेते हैं।
ज्योतिषीय दृष्टि से भी रुद्राक्ष धारण करने के बड़े फायदे बताए गए हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मनुष्य के बीमार होने का बड़ा कारण ग्रहों की प्रतिकूलता होती है।
रुद्राक्ष धारण करने से ग्रहों की प्रतिकूलता दूर होती है। चाहे व्यक्ति शनि की साढ़ेसाती से पीड़ित हो या शनि ने चन्द्रमा को पीड़ित करके आपके जीवन में कष्ट भर दिया हो रुद्राक्ष हर हाल आपके लिए फायदेमंद होता है।
कालसर्प के कारण जीवन में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तब भी रुद्राक्ष धारण करने से अनुकूल फल की प्राप्ति होती है। अगर आप किसी शुभ दिन पर गंगा स्नान करने की चाहत रखते हैं और गंगा तट पर नहीं पहुंच पाते हैं तब रुद्राक्ष को सिर पर रखकर भगवान शिव का ध्यान करें तो गंगा स्नान का फल प्राप्त हो जाता है।