राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता से जूझ रहे पाकिस्तान के राजनीति और सामाजिक गलियारों में यह चर्चा जोरों पर है कि देश को संसदीय प्रणाली को छोड़कर राष्ट्रपति प्रणाली की सरकार को अपनाना चाहिए। सत्ताधारी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के शीर्ष नेताओं और कई राजनीतिक विश्लेषकों की राय है कि देश की खराब हालत का प्रमुख कारण उसकी संसदीय प्रणाली है।

राष्ट्रपति प्रणाली देश की आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक समस्याओं को हल करने का माध्यम है, जिसमें सांसदों की भूमिका केवल कानून तक ही सीमित होगी। पहली बार राष्ट्रपति प्रणाली के समर्थन को लेकर चर्चा कैसे और कहां शुरू हुई लेकिन प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा हाल में अपने मंत्रिमंडल में बड़े पैमाने पर फेरबदल से पहले ही इस चर्चा को गति मिल गई है। इस फेरबदल में देश के वित्त और स्वास्थ्य मंत्री को हटा दिया गया है। दूसरी ओर पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष आसिफ अली जरदारी ने राष्ट्रपति प्रणाली का विरोध करते हुए कहा कि यहां की स्थिति दिन-प्रतिदिन खराब होती जा रही है। पाकिस्तान में दैनिक आधार पर नए प्रयोग किए जा रहे हैं। वे इसे लाने के किसी भी प्रयास को रोकेंगे।
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