राम मंदिर निर्माण की तैयारियां जोरों पर हैं। सभी को एक ही जिज्ञासा है कि कब भूमि पूजन होगा और मंदिर निर्माण का औपचारिक काम शुरू होगा। भूमि पूजन की तिथि तय करने के लिए राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की चार अप्रैल को कामदा एकादशी के दिन अयोध्या में बैठक होगी।
इस बारे में सभी ट्रस्टियों को सूचना भेज दी गई है। उनसे चार अप्रैल को ट्रस्ट की बैठक में भाग लेने के लिए आने का आग्रह किया गया है। इस बैठक में विचार-विमर्श के बाद भूमि पूजन की तारीख तय होगी। राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की यह दूसरी बैठक होगी। पहली बैठक 19 फरवरी को दिल्ली में हुई थी, जिसमें ट्रस्ट के अध्यक्ष और अन्य पदाधिकारियों का चुनाव किया गया था।
ट्रस्ट की पहली बैठक के बाद से ही दूसरी बैठक और भूमि पूजन की तारीख को लेकर कयास लग रहे थे। अब जो कार्यक्रम तय हुआ है, उसके मुताबिक ट्रस्ट की अगली बैठक चार अप्रैल को अयोध्या में होगी।
इस दिन कामदा एकादशी है। हिंदू मान्यता के मुतबिक कामदा एकादशी का काफी महत्व है। इस बैठक की सूचना और कार्यक्रम से सभी ट्रस्टियों को अवगत करा दिया गया है। सभी से चार अप्रैल को अयोध्या पहुंचने के बात कही गई है। जो ट्रस्टी अयोध्या से बाहर हैं, उनसे आग्रह किया गया है कि वे एक दिन पहले लखनऊ पहुंच जाएं, जहां से सभी अयोध्या पहुंचेंगे। लखनऊ में उनके ठहरने का इंतजाम होगा।
ट्रस्ट की बैठक दिन में दो से चार बजे तक होगी। इसमें भूमि पूजन की तिथि पर विचार-विमर्श होगा और इसकी तिथि निश्चित की जाएगी। सूत्र बताते हैं कि भूमि पूजन की तिथि तय करने में शुभ मुहूर्त और नक्षत्रों का भी ध्यान रखा जाएगा।
चीजें चल रही हैं, लेकिन सब कुछ फाइनल चार अप्रैल को ट्रस्टियों की बैठक में होगा। ट्रस्टी भी सनातन धर्म के जानकार और विद्वान हैं। ऐसे में उनकी राय महत्वपूर्ण होगी। अयोध्या में ट्रस्ट की बैठक किस स्थान पर होगी, यह अभी तय नहीं है। स्थान तय होते ही ट्रस्टियों को इसकी सूचना अलग से दी जाएगी।
तय कार्यक्रम के मुताबिक, बैठक से पहले सभी ट्रस्टी पहले श्री राम जन्मभूमि के दर्शन करेंगे। फिर दो से चार बजे तक दोपहर में बैठक होगी। बैठक के बाद सभी ट्रस्टी सरयूजी की आरती में हिस्सा लेंगे। इससे पहले ही भगवान रामलला नए स्थान पर स्थानांतरित हो जाएंगे। 25 मार्च यानी नवरात्र की शुरुआत से ही नए स्थान पर भक्तों को रामलला के दर्शन होंगे।
मंदिर निर्माण की तैयारियां जोरों पर हैं इसके लिए लगातार विशेषज्ञों से विचार-विमर्श और तैयारियां चल रही हैं। जहां मंदिर का गर्भगृह होगा, वहां मिट्टी की ताकत जांचने के लिए जमीन के नीचे 50 फीट तक मिट्टी की जांच की जाएगी।
पूरी जमीन का सर्वे भी होगा। इस काम को एक महीने में कर लिए जाने का लक्ष्य है, ताकि अकारण विलंब न हो। यह भी योजना है कि भूमि पूजन देश की सभी पवित्र नदियों और समुद्रों के जल से किया जाए।
मंदिर निर्माण तक वहां रामधुन बजती रहे। एक सुरक्षित स्थान पर राम कथा प्रवचन और भगवान राम के जीवन चरित्र के मंचन का भी सुझाव है। हालांकि, ये सभी चीजें अभी विचार तक ही हैं। इस पर अंतिम फैसला ट्रस्टियों की बैठक में ही चर्चा के बाद हो सकता है।