रामजन्मभूमि के 70 एकड़ परिसर में भव्य राम मंदिर के साथ भोले बाबा का मंदिर भी संरक्षित होगा। परिसर में भोले बाबा पौराणिक महत्व के कुबेर टीला पर स्थापित शशांक शेखर महादेव के रूप में हैं।

इस स्थल की ओर नए सिरे से ध्यानाकृष्ट कराने का काम श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपालदास के उत्तराधिकारी एवं प्रवक्ता महंत कमलनयनदास ने किया था। यह भोलेनाथ उसी स्थल पर स्थापित हैं, जहां युगों पूर्व धनपति कुबेर ने भोले बाबा की उपासना की थी।
जनवरी 1993 में अधिग्रहण से पूर्व यह स्थल रामनगरी के चुनिंदा दर्शनीय स्थलों में शुमार रहा है। अयोध्या का इतिहास विवेचित करने वाले ग्रंथ रुद्रयामल के अनुसार युगों पूर्व यहां धन के देवता कुबेर का आगमन हुआ था। उन्होंने रामजन्मभूमि के निकट ही ऊंचे टीले पर शिवलिंग की स्थापना की थी। कालांतर में यहां मां पार्वती, गणेश, कार्तिकेय, नंदी, कुबेर सहित कुल नौ देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित की गई और श्रद्धालुओं के बीच यह स्थल ‘नौ रत्न’ के नाम से पूजित-प्रतिष्ठित हुआ।
सन 1902 में एडवर्ड अयोध्या तीर्थ विवेचनी सभा ने 84 कोस की परिधि में रामनगरी के जिन 148 पुरास्थलों को चिह्नित किया, उसमें से एक कुबेर टीला भी था। कालांतर में आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) की भी निगाह कुबेर टीला पर पड़ी। एएसआई ने अयोध्या जिला में कुबेर टीला सहित पुरातात्विक महत्व के आठ स्थलों को संरक्षण के लिए सूचीबद्ध भी कर रखा है।
परिसर के पौराणिक स्थलों का सुनिश्चित होगा संरक्षण
महंत कमलनयनदास के अनुसार श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का प्रयास भगवान राम की गरिमा-महिमा के अनुरूप भव्य-दिव्य मंदिर के साथ रामजन्मभूमि परिसर और पूरी अयोध्या को उसकी परंपरा और शास्त्रीयता का पूरा ध्यान रखते हुए सज्जित करना है। ऐसे में राम मंदिर के अलावा कुबेर टीला और उस पर विराजे शशांक शेखर के साथ परिसर के अन्य पौराणिक स्थलों का संरक्षण सुनिश्चित करना ट्रस्ट की प्राथमिकताओं में शुमार है।
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