रामभद्राचार्य: लखनऊ का विकास पत्थर की मूर्तियों के लगने से नहीं, लक्ष्मण मंदिर बनने से होगा…

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि पिछले साल गोमती नगर में राम कथा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में लक्ष्मणजी का एक मंदिर बनाने का आग्रह किया था। एक साल में लखनजी का मंदिर नहीं बना तो हम इसे स्वयं बनवाएंगे। लखनऊ को नंबर वन सिटी बनाने के संकल्प को लेकर मागे गए महापौर के आशीर्वाद पर उन्होंने आश्वस्त किया। उन्होंने कहा कि लखनऊ तब श्रेष्ठ होगा जब लखन का मंदिर यहा बनेगा। मोतीमहल लान में शुरू हुई श्रीराम कथा के पहले दिवस पर ‘मानस में दशावतार’ विषय पर स्वामी रामभद्राचार्य ने कथा कही, साथ ही लक्ष्मण मंदिर बनवाने को लेकर भी चर्चा की। अवध की भाषा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि गावों में बबुआ को अधिक प्रेमवश बबुऊ कहकर बुलाया जाता है। प्रसंग से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि इसी तरह लखन जी के नाम पर बसी यह नगरी लखनऊ हो गई। लखनऊ का विकास पत्थर की मूर्तियों के लगने से नहीं बल्कि लक्ष्मण जी के मंदिर से होगा। जिसका पूरा जीवन त्याग में बीता हो ऐसे मेरे लखन का मंदिर यहा बने। बात को आगे बढ़ाते हुए स्वामी रामभद्राचार्य ने लक्ष्मण पर एक भजन तत्काल गढ़ दिया।

‘लखनऊ को देख मुझे लगता अभी भी, यही कहीं, लक्ष्मण मेरा जगता अभी भी’ संगीत लहरी पर भजन के बोल सुन श्रोता झूम उठे। महाराजश्री ने प्रसंग आगे बढ़ा रामकथा की शुरुआत कर दी। उन्होंने कहा कि जिनके नाम से राष्ट्र का मंगल होता है वह राम है। भारत को आजाद कराने में जहा एक ओर तमाम देशभक्तों का योगदान रहा तो वही महात्मा गाधी ने भी रामधुन का साथ लिया। ‘रघुपति राघव राजा राम पतित पावन सीताराम’ के मधुर बोल से देश के लाखों लोग उनके पीछे चल पड़े। उन्होंने राम शब्द का अर्थ रा-राष्ट्र और म-मंगल। राष्ट्र का मंगल हो वह राम है। इस राष्ट्र को राम चाहिए। जो प्रत्येक संकटों का डटकर सामना करे वह राम चाहिए। बिना किसी का नाम लिए उन्होंने सर्जिकल स्ट्राइक का भी जिक्र किया। जगद्गगुरू ने कहा कि हमारी बौद्धिक संस्कृति है अवतारवाद। श्रीराम चरित मानस भारतीय संस्कृति का समग्र संस्करण है। ऐसा दिव्य व पावन ग्रंथ दूसरा नहीं है। उन्होंने कहा कि भगवान के 10 अवतार हैं। उन सबमें राम के ही रुप हैं। उसी दौरान एक भजन ‘कभी राम बनके कभी श्याम बनके चले आना प्रभु जी’ सुनाया तो लोग झूमने लगे। कथा में न्यायमूर्ति हाईकोर्ट इलाहाबाद के रंगनाथ पाडेय, न्यायमूर्ति खेमकरन, विष्णुचंद्र गुप्ता, राघवेंद कुमार, एसएस उपाध्याय, महंत राजू दास जी महाराज अयोध्या, मेयर संयुक्ता भाटिया, कैबिनेट मंत्री सतीश महाना, विधायक बाबा गोरखनाथ, विधायक बीकेटी अवनीश द्विवेदी, कृष्ण कुमार पाडेय खुन्नू शारदा मणि त्रिपाठी, पं. धीरेन्द्र मिश्र, शैलेश तिवारी, राजेश तिवारी, मनोज तिवारी, उमेश मिश्र, अवधेश मिश्र, महेश ओझा, हरि प्रसाद गुप्ता समेत बड़ी संख्या में श्रोता मौजूद रहे। कथा से पूर्व संयोजक हरिओम तिवारी, राजेश तिवारी ने व्यास पूजन किया। संयोजक हरिओम तिवारी ने बताया कि श्रीराम कथा का आयोजन 24 मई तक दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक मोतीमहल लान में किया जाएगा।

‘जो सामने वाले का लाभ देखे, वही संत है’

तेरी मर्जी का मैं हूं गुलाम ओ मेरे अलबेले राम . इस भजन की धुन और रामभक्ति की वर्षा में लोग जमकर भीगे। प्रख्यात रामकथा वाचक प्रेमभूषण महाराज की सत्संग संध्या के दूसरे दिन शाम बुधवार को राम कथा की भक्ति सरिता में श्रोता डूबते उतरते रहे। यहा महाराज ने कहा कि, जो सम्मुख बैठे का लाभ देख वह ही वास्तविक संत है। बलरामपुर गार्डेन में नौ दिवसीय श्रीराम कथा में बुधवार को कहा कि इस समय पुरुषोत्तम मास चल रहा है जो कि हर तीन साल पर एक बार आता हैं। उन्होंने कहा कि पुरुषोत्तम मास में पूजा अर्चना का कई गुना लाभ होता है। कहा कि प्रभु को अच्छा लगे वही हमें अच्छा लगना चाहिए। अपने लिए नहीं बल्कि जो दूसरों के लिए व्यवहार करता है वही परमार्थी है। आनंद विषय में नहीं बल्कि सत्संग में आना चाहिए। ऐसा कोई नहीं जो अपने लाभ के बिना हमको कुछ दे। जो अपना लाभ न देखकर सन्मुख बैठे का लाभ देखे वही वास्तविक संत और साधक है। कथा और कीर्तन अपना नहीं परहित है। जो गाये उसका मंगल जो सुने उसका मंगल। हुंकारी भी भर ले उसका भी मंगल है।

जीवन को पास रखकर जीएं। जो हम क्या हैं ये नहीं जानता वह भगवान का चिंतन क्या करेगा। अपने जीवन का चिंतन जरूर करें। क्यों भाग रहे हो ये तो सोचो। उन्होंने कहा कि 24 घटे हमारा कैसे बीते उसकी चिंता करें। हम अपनी निजी संपदा को परमात्मा की ओर ले जाये। जब हम किसी के साथ बैठते हैं तब हम भगवान के लिए क्या किया ये भी सोचे। जो भी भगवान का गुणगान नहीं करता है वह चमगादड़ समान है। हमको भगवान ने सर्वाग पुष्ट किया है। भगवान की कृपा से सबकुछ है। हम बोझ डालते ही नहीं है। जिस देश और वेश में रहिये आप भगवान के आश्रय में रहिये।

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