रामंमदिर का निर्माण कार्य 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य, आधुनिक मशीनों से होगी पत्थरों की नक्काशी

अयोध्या। राममंदिर निर्माण के लिए दो दशक से चल रही हाथ से पत्थरों की नक्काशी अब आधुनिक मशीनों से होगी। तय समय में मंदिर निर्माण के लिए यह फैसला श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने देश के अनुभवी पत्थर सप्लायरों से नक्काशी व शिल्पकला को लेकर हुई बैठक में किया है। बैठक में देश भर के 12 वेंडर शामिल हुए। जिन्होंने राममंदिर के पत्थरों की नक्काशी को लेकर अपने सुझाव दिए।

राममंदिर की नींव खोदाई के समानांतर ही मंदिर निर्माण की अन्य तैयारियां तेजी से चल रही हैं। राममंदिर निर्माण के लिए अब तक करीब 35 फीट तक नींव की खोदाई का कार्य हो चुका है। इसी के साथ पत्थर तराशी और शिल्पकला को लेकर अनुभवी वेंडर्स की बैठक अयोध्या में हुई। बैठक में सभी वेंडर्स ने अपनी-अपनी राय रखी। साथ ही रामजन्मभूमि के लिए तराश कर रखे गए पत्थरों को भी देखा।

सबने एक स्वर में कहा कि जो पत्थर तराशकर रखे गए हैं वह दुर्लभ हैं। पत्थरों पर की गई नक्काशी भी शिल्पकला का अद्भुत उदाहरण है। राममंदिर की पहली मंजिल के लिए अब तक करीब सवा लाख घनफीट पत्थरों की तराशी हो चुकी है। तराशी का कार्य वर्ष 2006 से बंद है। ऐसें में करीब 15 साल बीत गए हैं। अनेकों प्रकार की मशीनें विकसित हो गई है।

रामंमदिर का निर्माण कार्य 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य है इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि पत्थरों की नक्काशी का अधिक से अधिक कार्य मशीनों से होना चाहिए। अब तक पत्थरों में जो नक्काशी हुई है वह हाथों से की गई है। राममंदिर के निर्माण में करीब चार लाख घनफीट पत्थर लगने हैं इसलिए हाथ से नक्काशी करने में लंबा वक्त लग जाएगा।

तय हुुआ है कि करीब 40 प्रतिशत नक्काशी का काम मशीनों के जरिए किया जाएगा। नक्काशी में कुछ बारीकियां भी होती हैं, जो हाथ से संभव नहीं है। ऐसे में सिर्फ 40 प्रतिशत नक्काशी ही मशीनों से की जाएगी। शेष के लिए कारीगर नियुक्त किए जाएंगे। ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय बताते हैं कि वेंडरों के साथ बैठक करने के बाद तय समय में मंदिर निर्माण पूरा करने का पूरा भरोसा जगा है।

बताया कि मंदिर का निर्माण राजस्थान के बंशीपहाड़पुर के पत्थरों से होगा। परकोटे व नींव की प्लींथ को ऊंचा करने में चार-चार लाख घनफीट पत्थरों की आवश्यकता होगी। जिसकी आपूर्ति के लिए बात चल रही है। राममंदिर के नींव की मजबूती के लिए कौन सा मटेरियल प्रयोग किया जाए। इसको लेकर देश भर के विशेषज्ञ लेब्रोट्री टेस्टिंग करने में जुटे हुए हैं।

इंजीनियरों के अनुसार राममंदिर की नींव में मात्र छह प्रतिशत सीमेंट का प्रयोग किया जाएगा। चंपत राय के मुताबिक राममंदिर की नींव के लिए 40 फीट गहराई तक ही मलबा हटाया जाएगा। इसके बाद इंजीनियरिंग फिलिंग प्रणाली से मंदिर की नींव भराई शुरू होगी। दो-दो फीट पर पत्थरों की लेयर डालकर रोलर चलाए जाएंगे। इस प्रकार 40 फीट की गहराई तक चट्टान जैसी नींव तैयार हो जाएगी। प्लींथ को ऊंचा करने में मिर्जापुर व सोनभद्र के पत्थरों का प्रयोग किया जाएगा।

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