राजू : भैया, जहर देना।
दुकानदार : क्यों?
राजू : मेरी पौने तीन किलो प्याज किसी ने चुरा ली।
दुकानदार : बस कर पगले, रुलाएगा क्या ! बता छोटी बोतल दूं या बड़ी?
राजू :”घर की मुर्गी दाल बराबर” कहावत को उदाहरण सहित समझाओ।
पप्पू : देख मुर्गी का भाव Rs 140/kg और तुअर दाल का भाव Rs 140/kg दोनों बराबर तो ‘’घर की मुर्गी दाल बराबर” हो गई न कहावत सच ।
लड़की वाले : भाई अपनी लड़की तो अमीर खानदान में ही देंगे।
पंडित जी : तो हम भी ततो अमीर खानदान का ही रिश्ता लाये है भैया । अब और क्या शर्त है तुम्हारी ?
लड़की वाले : शर्त वर्त कुछ नाही है भैया ! बस उनके घर में रोज प्याज की सब्जी बनती हो।
तुअर दाल और प्याज के बढ़े हुए दामों का दर्द इन लाइनों से जाहीर किया जा रहा है –
दर्दे ए प्याज – हर किसी को नहीं मिलता यहां “प्याज’ जिंदगी में… खुशनसीब है वो जिनको है मिली “तुअर दाल’ जिंदगी में।
प्याज़ ए गजल – हमने सूंघी है कहीं प्याज की महकती खुशबू हाथ से छू लो इन्हें पर लेने का नाम न लो सिर्फ एहसास रखो और रूह से
महसूस करो प्याज का प्यार ही रहने दो, कोई दाम न दो प्याज का मोल नहीं प्याज कोई प्यार नहीं एक झटका सा है जो धीरे से लगा करता है न ये रुकता है न झुकता न घटता है
कभी इसका दाम जो है वो दिन रात बढ़ा करता है सिर्फ एहसास रखो और रूह से महसूस करो प्याज का प्यार ही रहने दो, कोई दाम न दो मुस्कराहट खिलती है दुकानदार के मुंह पर खरीदार की जेबें तो दिन रात लुटा करती हैं
होंठ कुछ कहते नहीं कांपते होठों पर मगर किस्सा-ए-प्याज ही इक बात हुआ करती है सिर्फ एहसास रखो और रूह से महसूस करो प्याज का प्यार ही रहने दो, कोई दाम न