उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 160 किलोमीटर दूर बलरामपुर जिले की नगरपालिका का एक अमानवीय कृत्य सामने आया है, जहां एक शव के साथ असम्मानजनक व्यवहार किया गया है. बुधवार को हुई इस घटना में नगरपालिका के कर्मचारियों ने यहां एक शख्स की मौत के बाद उसके कोरोना संक्रमित होने के डर से उसके शव को कूड़ागाड़ी में उठाया. नगरपालिका ने शव को थाने ले जाने के लिए कूड़ागाड़ी का इस्तेमाल किया. इस मामले में 7 सरकारी कर्मचारी सस्पेंड कर दिए गए हैं, जिनमें एक सब-इंस्पेक्टर, 2 कॉन्स्टेबल और 4 नगरपालिका के कर्मचारी शामिल हैं
घटना का मोबाइल फोन से शूट किया गया एक वीडियो सामने आया है, जिसमें देखा जा सकता है कि नगरपालिका के कुछ कर्मचारी शव को कूड़ा गाड़ी में डल रहे हैं और वहीं कुछ पुलिसवाले खड़े होकर देख रहे हैं. मौके पर एक एंबुलेंस भी थी, लेकिन एंबुलेंस के कर्मचारियों ने शव को इस डर से छूने से मना कर दिया कि मृतक को कोरोना हो सकता है.
बलरामपुर जिले की उतरौला तहसील में मोहम्मद अनवर नाम के 42 साल के एक शख्स किसी काम से आए थे. तभी तहसील के गेट पर वो अचानक से गिर गए, जिसके बाद वहां मौजूद कुछ लोगों इसकी खबर पुलिस और एम्बुलेंस को दी. जानकारी मिलने पर वहां एम्बुलेंस भी आई और पुलिस भी आई लेकिन किसी ने उन्हें अस्पताल नहीं पहुंचाया, बल्कि उन्हें मरा हुआ जानकर नगरपालिका की कूड़ा ढोने वाली गाड़ी बुलाई और फिर शव को गाड़ी में डालकर थाने ले गए. बाद में डॉक्टर्स ने उनकी मौत की जानकारी दी. यह साफ नहीं है कि अनवर की मौत कोरोनावायरस से हुई है या नहीं.
बलरामपुर के पुलिस कप्तान देवरंजन वर्मा ने इस रवैये की आलोचना करते हुए NDTV से कहा कि यह बहुत ही अमानवीय और अपमानजनक व्यवहार है. उन्होंने कहा, ‘यह बहुत अमानवीय और गैर-कानूनी काम है. अगर उन्हें कोरोना का संदेह था भी तो उन्हें PPE किट पहनकर शव ले जाना चाहिए था, न किसी ज़िंदा आदमी का अपमान किया जा सकता है और न ही किसी के शव का. इस मामले में इलाके के सीओ और एसडीएम को जांच सौंपी गई है. वो जिसकी जिम्मेदारी तय करेंगे, उसके खिलाफ फौरन कार्रवाई की जाएगी.’