आयुर्वेद में सूर्य देव को वैध माना जाता है। वहीं ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता और आत्मा का कारक माना जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य मजबूत रहने से व्यक्ति को करियर और कारोबार में शीघ्र सफलता मिलती है।
रविवार का दिन भगवान भास्कर यानी सूर्यदेव को समर्पित होता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा-उपासना की जाती है। आयुर्वेद में सूर्य देव को वैध माना जाता है। वहीं, ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता और आत्मा का कारक माना जाता है। ज्योतिषियों की मानें तो सूर्य मजबूत रहने से व्यक्ति को करियर और कारोबार में शीघ्र सफलता मिलती है। इसके लिए ज्योतिष हमेशा सूर्य मजबूत करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि पाना चाहते हैं, तो रविवार के दिन भगवान भास्कर की इस विधि से पूजा-उपासना करें। आइए जानते हैं-
पूजा विधि
रविवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले भगवान भास्कर को प्रणाम करें। इसके बाद नित्य कर्मों से निवृत होकर घर की साफ-सफाई करें। अब नहाने वाले पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। आसान शब्दों में कहें तो गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। तत्पश्चात, आमचन कर नवीन वस्त्र धारण करें और पूजा संकल्प लें। रविवार के दिन पीले रंग का वस्त्र पहनना शुभ होता है। इसके लिए पीले रंग के कपड़े पहनें। अब भगवान भास्कर को जल का अर्घ्य निम्न मंत्र का उच्चारण कर दें-
सूर्य मंत्र
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।
गायत्री मंत्र
ॐ ॐ ॐ ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।
भगवान विष्णु का स्मरण कर निम्न मंत्र का उच्चारण करें-
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।”
इसके पश्चात, भगवान भास्कर की पूजा पीले रंग के फल, फूल, धूप-दीप, अगरबत्ती, तिल, जौ, अक्षत आदि चीजों से करें। अंत में आरती अर्चना कर सुख, समृद्धि और वैभव की कामना करें। सूर्य की उपासना करने से रोग और व्याधि से भी मुक्ति मिलती है। राहु, केतु और शनि की बाधा दूर करने के लिए प्रवाहित जलधारा में नारियल और काले तिल बहाएं। इसके पश्चात, सामर्थ्य अनुसार दान करें।