रमज़ान का माह चल रहा है और हर मुस्लिम बंधुओ के लिए खास होता है. इसके कई महत्व होते हैं और इसी के चलते लोग रोजा भी रखते हैं. इस माह की फजीलत बयान करते हुए मौलाना अब्दुल खालिक कासमी ने कहा कि रमजान में जन्नत के दरवाजे खोल दिये जाते हैं. अल्लाह इस महीने में नेक काम करने वाले मुसलमानों को नेकियों से मालामाल कर देता है. अगर इस माह में नेकी की जाए तो इसका फल आपको जरूर मिलता है. रोज़दार के लिए इस माह का लम्हा-लम्हा नेकियोें का है. माहे रमज़ान मुबारक को तीन हिस्सों में बांटा गया है. पहला हिस्सा रहमत, दूसरा मगफिरत (बख्शीश) और आखिरी हिस्सा जहन्नुम से निजात का है. आलिमों ने अंतिम हिस्से की बड़ी महत्ता बतायी है.
रमजान की अहमियत- मजहबे इस्लाम के पांच अरकानो मे से रोज़ा भी एक रूक्न है. यह वह महीना है जिसमे अल्लाह तआला ने अपनी पाक किताब कुरआन शरीफ को बन्दो की रहनुमाई के लिए इस जहां में उतारा. इस पाक माह मे अल्लाह जन्नत के दरवाजे खोल देता है व दोजख के दरवाजो को बन्द कर देता है. वहीं शैतान को कैद कर लेता है.
रोजा किस पर फर्ज है- हर मुसलमान मर्द व औरत जो अक्ल वाला व तन्दुरूस्त हो उस पर साल में एक माह के रोजे रखना फर्ज है.
रोजा न रखने वालो पर गुनाह- जो मुसलमान रोजा नहीं रखता है वह अल्लाह की रहमत से महरूम रहता है रोजा न रखने पर वह शख्स अल्लाह की नाफरमानी करते हैं. रोज़ा न रखना गुनाह-ए-कबीरा है.
रोजा कैसे रखा जाता है- सुबह सादिक(सूर्योदय से पहले) से लेकर गुरूब(सूर्यास्त) तक अपने आपको खाने-पीने से रोके रखना रोज़ा कहलाता है. मुंह के रोजे के साथ-साथ हाथ, कान, नाक, जबान व आंखो का भी रोजा होता है. रोजे की हालात मे किसी की बुराई करने व सुनने, बुरा देखने, बुरा करने से बचें.