रक्षा मंत्री ने कहा कि रामराज्य का मतलब लोकमंगल की स्थापना करना और आतंक का अंत कर समतामूलक समाज की स्थापना करना है। श्रीराम युग पुरुष हैं, संस्कार पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। वे आदिवासी और स्त्री सम्मान के प्रतीक हैं। श्रीराम किसी विचारधारा से नहीं बंधे, बल्कि वो सभी क्षेत्रों में आदर्श प्रस्तुत करते हैं।
अयोध्या में राममंदिर का निर्माण नए भारत का प्रतीक है। भगवान श्री राम को अपने जन्म स्थान पर पहुंचने में 500 सौ साल का समय लग गया। श्रीराम भारत की चेतना है और अयोध्या सांस्कृतिक चेतना का केंद्र बन रही है। ये बातें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने डीयू में डेमोक्रेटिक टीचर्स फ्रंट (एनडीटीएफ) की ओर से मकर संक्रांति व लोहड़ी मिलन समारोह के अवसर पर पूर्व सांसद और पत्रकार बलबीर पुंज की पुस्तक ट्रिस्ट विद अयोध्या: डिकोलोनाईजेशन ऑफ इंडिया का विमोचन के दौरान कहीं।
उन्होंने कहा कि यह पुस्तक तुष्टीकरण की राजनीति की पोल खोलती है। यह पुस्तक अयोध्या में राम जन्मभूमि आंदोलन के इतिहास की असल तस्वीर दिखाती है। उन्होंने कहा कि रामराज्य का मतलब लोकमंगल की स्थापना करना और आतंक का अंत कर समतामूलक समाज की स्थापना करना है। श्रीराम युग पुरुष हैं, संस्कार पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। वे आदिवासी और स्त्री सम्मान के प्रतीक हैं। श्रीराम किसी विचारधारा से नहीं बंधे, बल्कि वो सभी क्षेत्रों में आदर्श प्रस्तुत करते हैं। सिंह ने कहा कि राम पर सवाल उठाने वाले आज हाशिये पर चले गए हैं। उन्होंने कहा कि वोट बैंक की राजनीति के चलते राम मंदिर को मुद्दा बनाया गया।
अयोध्या तोड़ती नहीं जोड़ती है
राजनाथ ने कहा कि अयोध्या तोड़ती नहीं, जोड़ती है-जीव से ब्रह्म को, आत्मा से परमात्मा को, भक्त से भगवान को, राजा से प्रजा को, मनुष्य से मनुष्य को, खंडित से अखंडित को, अगड़ों से पिछड़ों को, बूंद से समुद्र को, वनवासी को राज्य से। ऐसी बहुलताओं को जोड़ने वाली ताकत का नाम ‘अयोध्या’ है। राम जिस विनय, शील व मर्यादा के लिए जाने जाते हैं, अयोध्या उसकी जननी है।
भारत के पुनर्जागरण का है समय
रक्षा मंत्री ने कहा कि आज भारत के पुनर्जागरण का समय है। आर्थिक, धार्मिक और सांस्कृतिक सभी क्षेत्रों में पुनर्जागरण हो रहा है। भारत विश्व की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है और तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है। वहीं, इस अवसर पर विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय कार्य अध्यक्ष आलोक कुमार ने कहा कि 22 जनवरी को श्रीराम की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के अवसर पर मंदिर आंदोलन से जुड़े लोगों के साथ अन्य क्षेत्रों की प्रमुख हस्तियों को भी अयोध्या में आमंत्रित किया गया है।
…तो भारत अफगानिस्तान बन जाएगा : पुंज
एनडीटीएफ ने इस दौरान मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम विषय पर एक कार्यक्रम का भी आयोजन किया। डीयू के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने इस अवसर पर कहा कि श्रीराम भारत के प्राण है। वह त्याग की मूर्ति है, जिन्होंने राजतिलक के अवसर पर सारा राजपाट त्याग दिया था। वे सदाचार, शील और दया के प्रतीक पुरुष हैं। पुस्तक के लेखक बलबीर पुंज ने कहा कि भारत के मानस से यदि श्रीराम को निकाल दिया जाए, तो भारत अफगानिस्तान बन जाएगा। उनके लिए मनुष्यता सर्वोपरि है। कार्यक्रम के आरंभ में एनडीटीएफ के अध्यक्ष प्रो. अजय कुमार भागी ने सभी अतिथियों का स्वागत किया और 22 जनवरी को अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण को ऐतिहासिक महत्व का विषय बताया। कार्यक्रम का संचालन प्रो. वीएस नेगी ने किया।