भारत को रक्षा उद्योग के क्षेत्र में बड़ी कमयाबी हासिल हुई है। भारत ने रूस और पौलेंड को पछाड़ते हुए अर्मेनिया के साथ 280 करोड़ रुपये (40 मिलियन डॉलर) का रक्षा सौदा किया है। भारत स्वदेशी हथियारों को अर्मेनिया को निर्यात करेगा।
सरकार के सूत्रों ने बताया कि रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित और भारत इलेक्ट्रोनिक्स लिमिटेड (बीईएल) द्वारा निर्मित किए गए चार ‘स्वाती वेपन लोकेटिंग रडार’ यूरोपीय देश अर्मेनिया को निर्यात किया जाएगा।
सूत्रों ने कहा कि इन हथियारों को अर्मेनिया को निर्यात करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और इसे रक्षा क्षेत्र में ‘मेक इन इंडिया’ प्रोग्राम की बड़ी उपलब्धि के रूप में माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि अर्मेनिया ने रूस और पोलैंड द्वारा प्रस्तावित प्रणालियों का परीक्षण किया था जो अच्छे भी थे लेकिन उन्होंने विश्वसनीय भारतीय प्रणाली को खरीदने का फैसला किया।
यह सौदा चार ‘स्वाती वेपन लोकेटिंग रडार’ का है। यह रडार अपनी 50 किलोमीटर की सीमा में दुश्मन के हथियारों, मोर्टार और रॉकेट जैसे स्वचालित हथियारों की सटीक स्थिति का पता लगा सकता है।
रडार एक साथ विभिन्न स्थानों पर अलग-अलग हथियारों से दागे गए कई प्रोजेक्टाइल को पता लगा सकता है। भारतीय सेना जम्मू और कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर अपने संचालन के लिए इसी रडार का उपयोग कर रही है जिनसे वे पाकिस्तानी चौकियों द्वारा हमले के स्रोत का पता लगाते हैं। सेना को 2018 में ट्रायल के लिए यह सिस्टम दिया गया था।
अधिकारियों ने कहा कि इन हथियारों का निर्यात भारत को अपनी स्वदेशी प्रणालियों की बिक्री के लिए एक नया बाजार खोलने में मदद करेगा, जो कि उसके यूरोपीय और अन्य प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में सस्ता है।
रक्षा मंत्रालय अब रक्षा निर्यात को बढ़ावा देने के लिए दक्षिण-पूर्व एशिया, दक्षिण अमेरिका और मध्य-पूर्व देशों द्वारा की जाने वाली मांगों को भी देख रहा है। गौतरलब हो कि रक्षा क्षेत्र में निर्यात के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 35,000 करोड़ रुपये का लक्ष्य रखा गया है।