लखनऊ । उत्तर प्रदेश सरकार ने समाजवादी सरकार के दौरान वाई श्रेणी सुरक्षा घेरे में रहने वाले युवा ब्रिगेड के दो दर्जन नेताओं समेत 100 लोगों की श्रेणीबद्ध सुरक्षा हटाने का निर्णय लिया है। पूर्व मंत्री आजम खां की जेड सुरक्षा को वाई श्रेणी में तब्दील किया गया है लेकिन, राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल, अमर सिंह की सुरक्षा में कटौती नहीं हुई है।
मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव (गृह), डीजीपी, एडीजी (सुरक्षा) की अगुवाई वाली राज्य सुरक्षा समिति ने प्रदेश के 110 लोगों की श्रेणी बद्ध सुरक्षा खत्म करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से सबसे ज्यादा प्रभावित समाजवादी पार्टी की युवा ब्रिगेड हुई है।
तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 20 से विधान परिषद सदस्यों, आधा दर्जन विधायकों, सपा के युवा संगठन के ओहदेदारों को भी वाईश्रेणी की सुरक्षा दे रखी थी। बाहुबली की पहचान रखने वाले कई विधायकों को भी यह सुरक्षा सुरक्षा हासिल थी।
इस श्रेणी की सुरक्षा वाले व्यक्ति के आवास पर तीन सशस्त्र पुलिस गार्ड तैनात रहती है। एक पुलिस एस्कोर्ट होती है। श्रेणीबद्ध सुरक्षा वाले व्यक्ति के साथ एक पीएसओ (पर्सनल सिक्योरिटी आफीसर) व दो सिपाही हमेशा रहते हैं, जबकि जेड सुरक्षा वाले व्यक्ति के किसी जिले में जाने पर सशस्त्र एस्कोर्ट भी मुहैया कराया जाता है।
सूत्रों का कहना है कि गत दिनों राज्य सुरक्षा समिति की बैठक में इन सभी की श्रेणी बद्ध सुरक्षा वापस लेने का निर्णय लिया गया है। इसके स्थान पर इन्हें से कुछ को दो और कुछ को सिर्फ एक गनर देने का निर्णय हुआ है।
सूत्रों का कहना है कि सुरक्षा समिति ने सपा के राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल व अमर सिंह की सुरक्षा में कोई कटौती नहीं की है। प्रदेश में तकरीबन 152 लोगों को श्रेणीबद्ध सुरक्षा हासिल है। गौरतलब है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने श्रेणीबद्ध सुरक्षा की समीक्षा कर उसमें कटौती करने की बात कही थी।
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