अखिलेश यादव का ड्रीम प्रोजेक्ट ‘गोमती रिवर फ्रंट’ योगी सरकार की उदासीनता का शिकार होता जा रहा है. देश का सबसे शानदार माना जाने वाला रिवर फ्रंट कुछ ही महीनों में बदहाली का शिकार होता नजर आ रहा है. बेशक गोमती में गिरने वाले कई नालों को बंद कर दिया गया है, बावजूद इसके गोमती नदी में गंदगी बढ़ रही है.
नाले में तब्दील हुई नदी
फिलहाल गोमती नदी नाले में तब्दील हो गई है. गोमती नदी के ज्यादातर हिस्से में जलकुंभी का प्रकोप है. दिन-ब-दिन इसकी गंदगी का लेवल बढ़ता ही जा रहा है. गर्मी में पानी कम है और गंदगी ज्यादा होने से बीमारियों का खतरा भी काफी बढ़ गया है. गोमती रिवर फ्रंट के 1 किलोमीटर के मुख्य भाग पर घूमने वालों का तांता अब भी लगा हुआ है, लेकिन करीब 7 किलोमीटर का रिवरफ्रंट पूरी तरीके से बदहाल है. यहां लगाए गए ज्यादातर पौधे सूख चुके हैं, विदेशों से मंगाई गई घास भी सूख गई है, मोटर बोट चलना बंद हो गए हैं, नदी को साफ करने के लिए लगाई गई मशीनें भी बंद हैं. वहीं नाव के जरिए होने वाली सफाई भी बंद है. बताया जा रहा है कि गोमती रिवरफ्रंट से जुड़े हुए ज्यादातर अधिकारी प्रोजेक्ट छोड़कर जा चुके हैं. पुराने लोगों के तबादले हो चुके हैं और नये लोग जांच के डर से उदासीन बन गए हैं.
गोमती नदी में कुल 37 नाले गिरते हैं. इनमें से 8 नाले ऐसे हैं जो शहर के बाहर गोमती में गिरते हैं. रिवरफ्रंट में कुछ वक्त पहले तक कुल 29 नाले गिर रहे थे. योगी सरकार ने 9 नालों को समानांतर चैनल से जोड़ दिया है जिससे अब 20 छोटे बड़े नाले इस रिवर फ्रंट में गिर रहे हैं. गोमती रिवरफ्रंट में गिरने वाले दो बड़े नालों कुकरैल और हैदर कनाल को डाइवर्ट किया जा चुका है जबकि नॉर्थ ईस्टर्न रेलवे ब्रिज से पार होकर आने वाले नाले को अब तक चैनल से नहीं जोड़ा जा सका है. ट्रांस गोमती में अब भी 6 बड़े नाले गिर रहे हैं जिससे गोमती का प्रदूषण बना हुआ है. योगी आदित्यनाथ ने सीएम की कुर्सी संभालने के बाद ही गोमती रिवर फ्रंट पर अफसरों की पंचायत लगाई थी. योगी ने रिवर फ्रंट का काम तीन महीने में पूरा करने, नालों को गोमती में गिरने से रोकने का भी आदेश दिया था.