योगी आदित्यनाथ ने यूपी के लोगों को दी सबसे बड़ी सौगात, अब इन अस्पतालों में जेब नहीं होगी ढ़ीली

लखनऊ। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के प्रयास के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्सा अधिकारियों को अस्पतालों एवं निर्माण कार्यो का निरीक्षण कर उसकी प्रगति रपट हर माह उच्चाधिकारियों को देने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश के 52 चिकित्सालयों में मुफ्त डायग्नोस्टिक सेवाएं 30 मई तक आरंभ करने के भी आदेश दिए हैं।

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राज्य स्वास्थ्य मिशन के कार्यो की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा, “आम नागरिकों को स्वास्थ्य सेवाओं की जानकारी दिलाने के लिए प्रमुख सार्वजनिक स्थानों पर होर्डिग लगवाए जाएं।” योगी ने एनएचएम के अंतर्गत संविदा के आधार पर की जा रही नियुक्तियों में भ्रष्टाचार की शिकायतों का संज्ञान लेते हुए कड़े निर्देश दिए कि भर्तियां नियमानुसार पूरी पारदर्शिता के साथ कराई जाएं।

उन्होंने कहा, “राज्य में अनियमित रूप से की जा रही भ्रूण लिंग जांच पर प्रभावी अंकुश लगाने का अभियान चलाया जाए। जिन जनपदों में विशेष तौर से लिंगानुपात में ज्यादा गिरावट दर्ज की गई है, उन जनपदों में यह अनुपात बढ़ाने की दिशा में ठोस कार्य योजना बनाएं।”

मुख्यमंत्री ने कहा है कि प्रत्येक मंडल स्तरीय जिला चिकित्सालयों में डायलिसिस इकाइयां तत्काल स्थापित कराकर आगामी माह जुलाई तक डायलिसिस की सेवाएं प्रत्येक दशा में पीड़ित व्यक्ति को उपलब्ध कराई जाएं। उन्होंने प्रदेश के 14 चिकित्सालयों में जुलाई माह से एवं शेष चिकित्सालयों में सितंबर से सीटी स्कैन कैटेगरी-1 के अंतर्गत पीपीपी मॉडल पर सीटी स्कैन सेवाएं उपलब्ध कराने तथा प्रदेश के 52 जनपद स्तरीय चिकित्सालयों में मुफ्त डायग्नोस्टिक सेवाएं 30 मई तक सुलभ कराने के निर्देश दिए हैं।

 

मुख्यमंत्री ने सिक न्यू बॉर्न केयर इकाई, पोषण पुनर्वास केंद्र, होम डेज न्यू बॉर्न केयर कार्यक्रम, राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम की भी समीक्षा की और इन्हें और प्रभावी बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन के तहत नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के क्षेत्र में प्रतिमाह शिविर आयोजन की व्यवस्था सुनिश्चित किए जाने के भी निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के सहयोग से संचालित संचारी व गैर संचारी रोगों के नियंत्रण संबंधित कार्यक्रमों की भी समीक्षा की। उन्होंने कहा कि इन रोगों के संबंध में टीके के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के कार्यक्रम चलाए जाएं, जिसमें विभिन्न स्वैच्छिक संगठनों और मीडिया की सहभागिता सुनिश्चित की जाए।

मुख्यमंत्री ने वर्ष 2010-11 से संचालित 133 मोबाइल मेडिकल यूनिट्स के संचालन में किसी भी प्रकार की कोई विधिक बाधा न होने की जानकारी विभाग को वर्ष 2014 में उपलब्ध होने के बावजूद लगभग तीन वर्षो तक विभागीय प्रस्ताव न प्रस्तुत किए जाने पर नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत सरकार द्वारा स्वीकृत 150 अन्य मेडिकल मोबाइल यूनिट्स के संचालन की कार्यवाही शीघ्रता से की जाए।

योगी ने कहा, “आंगनबाड़ी केंद्रों पर टीकाकरण सत्र आयोजित कर टीकाकरण सेवाओं को उपलब्ध कराया जाए। राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत सभी बच्चों एवं किशोरों को स्वास्थ्य परीक्षण की सुविधा उपलब्ध होनी चाहिए। जननी सुरक्षा योजना एवं जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम के तहत दी जाने वाली सुविधाओं में पूरी पारदर्शिता बरतते हुए लाभार्थियों को सेवाएं उपलब्ध कराई जाएं।”

 

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