एलोपैथी बनाम आयुर्वेद की लड़ाई में योगगुरु बाबा रामदेव के खिलाफ देश के अलग-अलग राज्यों में केस दर्ज कराए गए थे. इसको लेकर बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है. रामदेव ने अपनी याचिका में आईएमए पटना और रायपुर द्वारा दर्ज प्राथमिकी पर रोक लगाने और प्राथमिकी को दिल्ली स्थानांतरित करने की मांग की है.
पिछले दिनों ही छत्तीसगढ़ के रायपुर में योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी. कोरोना के इलाज में दी जा रहीं एलोपैथिक दवाओं को लेकर गलत जानकारी फैलाने के आरोप में उन पर यह केस दर्ज किया गया था. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की छत्तीसगढ़ यूनिट ने एफआईआर कराई है.
रायपुर के एसएसपी अजय यादव ने बताया था कि रामदेव के खिलाफ सेक्शन 188, 269 और 504 के तहत केस फाइल किया गया है. महामारी को लेकर लापरवाही बरतने, अंशाति फैलाने के इरादे से अपमान करने जैसे आरोपों के तहत उनके खिलाफ केस फाइल हुआ है. आईएमए की ओर से दर्ज कराई गई शिकायत में कहा गया है कि रामदेव ने गलत जानकारी फैलाई है.
इससे पहले एलोपैथी के खिलाफ बोलने और डॉक्टरों का मजाक उड़ाने से संबंधित वीडियो वायरल करने के आरोप में बाबा रामदेव पर आईएमए ने पटना में केस दर्ज करवाया था. राजधानी के पत्रकार नगर थाने में केस नंबर 317/21 के तहत बाबा रामदेव पर 186/188/269/270/336/420/499/504/505 आईपीसी, 51, 52, 54 डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 और 3 एपेडेमिक डिजीज एक्ट के तहत एफआईआर की गई.
आईएमए के डॉ. सुनील कुमार का आरोप है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बाबा रामदेव ने आधुनिक चिकित्सा विज्ञान और पद्धति के प्रति आम लोगों के मन में भ्रम पैदा किया. उसके प्रति अविश्वास बढ़ाया, जिससे डॉक्टरों की भावनाएं आहत हुईं. आरोप है कि बाबा के कारण काफी संख्या में लोगों की कोरोना से मौत हुई