यूपी: ज्येष्ठ के पहले बडे मंगल पर राजधानी के सभी मंदिर लॉकडाउन में बंद लोगो ने घरों में ही बजरंग बली की पूजा अर्चना की

गंगा जमुनी तहजीब की जिस विरासत को नवाबी काल से संजोए रखने का काम शुरू हुआ था वह सदियोें बाद भी अपने रंग से लाेगों को अपनी ओर खींचता है।

रमजान के पाक महीने में रोजेदार घरों में इबादत करते नजर आए तो हिंदू समाज मंदिर के बजाय घरों में ही बजरंग बली की पूजा अर्चना की। हनुमान चालीसा पाठ और सुंदरकांड पाठ के साथ श्रद्धालुओं ने बजरंग बली से कोरोना से मुक्ति की कामना भी की।

लॉकडाउन की वजह से मंदिरों में भले ही सन्नाटा रहा लेकिन आरती और श्रृंगार का लाइव प्रसारण करके पुजारियों ने श्रद्धालुओं को हनुमान जी के दर्शन कराए।

कलियुग के एक मात्र जाग्रत देव पवन सुत हनुमान जी के मंदिरों में पुजारियों ने बजरंग बली की आरती उतारी और दीप जलाए तो घरों में बजरंग बली के जयकारे के साथ उनकी पूजा की गई।

बीरबल साहनी मार्ग स्थित पंचमुखी हनुमान मंदिर के आरपी शर्मा ने बताया मंदिर के पुजारी पवन मिश्रा की ओर से पूजन किया गया तो हनुमान सेतु मंदिर में मुख्य पुजारी आचार्य चंद्रकांत द्विवेदी के सानिध्य में पुजारी भगवान जी महाराज ने चोला बदला और आरती उतारी। पक्कापुल स्थित दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर के पुजारी श्रीराम ने बजरंग बाण का वाचन कर कोरोना से मुक्ति की कामना की।

अलीगंज के नए हनुमान मंदिर के आरपी दीक्षित और पुराने हनुमान मंदिर के शिवाकांत के सानिध्य मेंं पुजारियों ने पूजन किया। हे दु:खभंजन मारुति नंदन सुन लो मेरी पुकार पवनसुत विनती बारंबार और जय हनुमान ज्ञान गुन सागर से गुंजायमान घरों में देर शाम तक पूजन का क्रम चलता रहा।

संकटमोचन, बजरंगबली, महावीर, पवन पुत्र, आंजनेय, केसरीनंदन हनुमान जी को लड्डू के बजाय लाल वस्त्र और सिंदूर अर्पित कर पूजन किया। अचार्य शक्तिधर त्रिपाठी ने बताया कि लाल चंदन, लाल फूल, चमेली के तेल का लेप करके भी श्रद्धालुओं ने बजरगंज बली को प्रसन्न किया। ठाकुरगंज स्थित मां पूर्वी देवी मंदिर की ओर से श्रीराम चरित मानस का पाठ किया गया। सभी ने घरों में पाठ किया।

ज्येष्ठ मास के पहले मंगलवार को अमेरिका के व्योमिंग विश्वविद्यालय में नाैकरी करने वाली डॉ.अनुपमा सिंह ने वहां न केवल सुंदरकांड किया बल्कि राजधानी की शिक्षिका नीलिमा सिंह, प्रीति, नम्रता, निरुपमा, रचना,नम्रता नमिता शर्मा, नीरू व शालू सहित 26 से अधिक श्रद्धालुओ को जोड़कर उनके साथ संगत कर लॉक डाउन में भी भक्ति का संचार किया।

जूम एप के माध्यम से बनाए ग्रुप से ऑनलाइन पाठ से सभी एक घरों में भक्ति का संचार हुआ। आचार्य कौशक चैतन्य ने ऑनलाइन किया बखान चिन्मय मिशन लखनऊ के आचार्य ब्रह्मचारी कौशिक जी महराज ने श्रद्धालुओं को ऑनलाइन पवन सुत की महिमा को बताने का प्रयास किया। विनीत ने बताया कि जूम एप के माण्ध्म से श्रद्धालुओं ने उनके प्रवचन आैर सुंदरकांड का घर बैठे आनंद लिया।

चौक में केके चौरसिया ने भजन गाए और उसे सोशल मीडिया में प्रसारित कर श्रद्धालुओं को जोड़ने का काम किया। जीबी चेरीटेबल ट्रस्ट के सुनील गोम्बर ने इंदिरानगर के हनुमत संग्रहालय में परिवार के साथ पूजन किया और तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया के माध्यम से प्रचारित किया।

जापलिंग रोड पर विवेक तांगड़ी ने बजरंग बाण के साथ सुंदकांड का पाठ किया और वीडियो बनाकर साथियों और श्रद्धालुओं को शेयर किया। लड्डू की जगह चना गुड़ बजरंग बली काे भले ही लड्डू पसंद हो, लेकिन उन्हें चना और गुड़ भी पसंद है। घरों में श्रद्धालुओं ने पूजन के दौरान चना गुड़ का भोग लगाया और फल अर्पित कर प्रसाद के रूप में वितरण किया।

आचार्य अनुज पांडेय ने बताया कि जैसे शिव जी को कुछ भी अर्पित कर प्रसन्न किया जा सकता है, वैसे ही उनके अवतार बजरंग बली को भी कुछ भी चढ़ सकता है। लड्डू भी चने के बेसन से बनता है। ऐसे में चना गुड़ चढ़ाकर श्रद्धालुओं ने बजरंग बली का गुणगान किया।

नगर निगम की ओर से श्रद्धालुओं के लिए ई-भंडारे का आयोजन किया गया। संयोजक डॉ.आरके तिवारी ने बताया कि श्रद्धालुओं द्वारा बताए गए मंदिर पर भोग लगाकर गरीबों को भंडारा बांटा गया। महंत देव्या गिरि की अोर से मंदिर से भंडारा और आइटी चौराहे के पास पुलिस वालों को जलपान कराया गया। गीता परिवार और शास्त्रीनगर दुर्गा मंदिर की ओर से बंदरों को चने खिलाए गए। अनुपम मित्तल की ओर से गरीबों को राशन के पैकेट बांटे गए। श्री अमरनाथ सेवा संस्थान के महामंत्री ओमप्रकाश ओमी की ओर से भंडारा लगाकर मजदूरों को प्रसाद दिया गया।

आचार्य अनुज पांडेय ने बताया कि देशभर में लॉकडाउन है। ऐसी में घर में पूजा की जो सामग्रियां उपलब्ध हैं उनसे ही पूजा करें। कुछ भी न हो ताे दीपक जलाकर हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं। घर के मंदिर में सबसे पहले श्रीगणेश का पूजन करें। गणेश पूजन के बाद पहले श्री राम जी का स्मरण करें हनुमानजी का पूजन करें।

हनुमानजी की मूर्ति को स्नान कराएं। वस्त्र अर्पित करें। हार फूल चढ़ाएं। हनुमानजी को सिंदूर का तिलक लगाएं। घी या तेल का दीपक जलाएं। ऊँ ऐं हनुमते रामदूताय नमः मंत्र का जाप के साथ हनुमान चालीसा बजरण बाण का पाठ आरती करें। पूजा में अनजानी भूल के लिए क्षमा मांगे।

पद्मश्री डॉ.योगेश प्रवीन ने बताया कि मंदिर की स्थापना नवाब शुजाउद्दौला की बेगम और दिल्ली की मुगलिया खानदान की बेटी आलिया बेगम ने कराई थी। 1792 से 1802 के बीच मंदिर का निर्माण हुआ था। इस्लाम बाड़ी में बेगम साहिबा ने अर्जी लगाई थी और उनके सपने में बजरंग बली आए थे। बजरंग बली ने सपने में टीले में प्रतिमा होने का हवाला दिया था।

बस बेगम ने टीले को खोदवाया आैर बजरंग बली की प्रतिमा को हाथी पर रखकर मंगाया। गोमतीपार प्रतिमा स्थापित करने की मंशा के विपरीत हाथी अलीगंज के पुराने हनुमान मंदिर से आगे नहीं बढ़ सका। बस उत्सव के साथ मंदिर की स्थापना की गई।

चांद का निशान वर्तमान समय में एकता और भाईचारे की मिसाल पेश करता है। स्थापना काल के दो तीन वर्षो के बाद प्लेग और बीमारी को दूर करने के लिए बेगम ने बजरंग बली का गुणगान किया तो महामारी समाप्त हो गई।

उत्सव का आयोजन किया गया। आयोजन के दिन मंगलवार था और ज्येष्ठ मास का महीना था। बस फिर उसी समय से शुरू हुआ बड़ा मंगल लगातार जारी है। हिंदू- मुस्लिम दोनों ही उत्सव में मिलकर हिस्सा लेते हैं।

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