यूपी चुनाव: मुस्लिम बहुल इलाकों में भी क्यों खिला ‘कमल’?

मुस्लिम समुदाय के नेताओं का मानना है कि उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ( भाजपा) की ऐतिहासिक सफलता की वजह तमाम हिंदू जातियों का एकसाथ आकर हिंदू वोट के रूप में परिवर्तित हो जाना रहा है. इसने मुस्लिम मतों के बंटने को भी अर्थहीन बना दिया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की झोली में जबरदस्त सफलता डाल दी.यूपी चुनाव: मुस्लिम बहुल इलाकों में भी क्यों खिला 'कमल'?

उत्तर प्रदेश में भाजपा ने अकेले 312 सीटें जीती हैं. इनमें मुरादाबाद नगर, देवबंद, नूरपुर, चांदपुर, नानपारा और नकुड़ जैसे कुछ ऐसे इलाके भी हैं, जहां मुसलमान बड़ी संख्या में हैं.

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इन जैसी तमाम जगहों पर मुस्लिम मत समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) में बंट गए.

मुसलमान किसे देते हैं वोट?

हालांकि, फिर भी मुस्लिम प्रत्याशी मेरठ, कैराना, नजीबाबाद, मुरादाबाद ग्रामीण, संभल, रामपुर, स्वार-टांडा जैसे इलाकों में जीत हासिल करने में सफल रहे.

कुछ मुस्लिम नेताओं ने कहा कि कुछ सीटें तो मुस्लिम मतों के विभाजन के कारण भाजपा की झोली में गिरीं. वैसे जिस पैमाने पर भाजपा को सफलता मिली है, उससे साफ है कि अगर मुसलमान किसी एक पार्टी के साथ गए होते तो भी कोई खास फर्क नहीं पड़ता.

समाजवादी पार्टी के पूर्व सदस्य कमाल फारूकी ने कहा, ‘मुस्लिम मतों के विभाजन की बात एक तरह का अमूर्त विचार है.’

उन्होंने कहा, ‘सामान्य धारणा के विपरीत, मुसलमान एकजुट होकर किसी पार्टी को वोट नहीं देते हैं. भाजपा हिंदू मतों को एकजुट करने के लिए इस बात को उछालती है कि मुसलमान एकजुट होकर मत देते हैं. जबकि सच्चाई यह है कि मुसलमान भी किसी अन्य सामान्य मतदाता की ही तरह अपने मुद्दों और चिंताओं के आधार पर मत देते हैं.’

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नई तरह की सोशल इंजीनियरिंग

यह संभव ही नहीं है कि उत्तर प्रदेश के मुसलमान किसी एक पार्टी को मत दें. लेकिन, वे कभी-कभी एकजुट होकर किसी एक क्षेत्र में किसी एक प्रत्याशी का समर्थन करते हैं.

वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष सैयद कासिम रसूल इलियास ने कहा कि भाजपा की रणनीति ने मुस्लिम फैक्टर को (चुनावों में) सफतलापूर्वक निष्प्रभावी बना दिया.

इलियास ने कहा कि भाजपा ने जाटवों के अलावा बाकी सभी अनुसूचित जातियों और यादवों के अलावा अन्य सभी पिछड़ों के मत हासिल किए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और (भाजपा अध्यक्ष) अमित शाह के उदय के बाद यह नई तरह की सोशल इंजीनियरिंग देखने को मिल रही है.

पूर्व राज्यसभा सदस्य मोहम्मद अदीब ने कहा कि मोदी और शाह ‘अच्छे दिन’ की आड़ में हिंदू राष्ट्र का वादा परोस रहे हैं, जिसने भाजपा को हिंदू मतों को इकलौती सर्वाधिक प्रभावी इकाई में बदलने में मदद की है.

उन्होंने कहा, ‘बीते तीन साल में मोदी सरकार की कोई ऐसी उपलब्धि नहीं है जो नजर आती हो, फिर भी लोगों ने मोदी को मत दिया. मोदी में लोग हिंदू राष्ट्र की उम्मीद देख रहे हैं जिसे वह (मोदी) अच्छे दिन कहकर प्रचारित कर रहे हैं.’

कई मुस्लिम संगठनों के साझा संगठन आल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरात के अध्यक्ष नवेद हामिद ने कहा, ‘हम एक बहुसंख्यकवादी लोकतंत्र की तरफ बढ़ रहे हैं, जहां राष्ट्रवाद को हिंदुत्व में मिला दिया गया है.’

बीजेपी की बंपर जीत

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को प्रचंड बहुमत मिला. पार्टी ने 403 सीटों में से 312 सीटों पर जीत हासिल की.

सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) भी हाशिये पर आ गई. राज्य निर्वाचन आयोग के अंतिम आंकड़ों के मुताबिक, भाजपा 312 सीटों पर जीती. बसपा को 19, सपा को 47 सीटें और कांग्रेस को महज 7 सीटों पर जीत मिली.

भाजपा के सहयोगी दल भारतीय समाज पार्टी (भासपा) 4 सीटों पर और अपना दल (सोनेलाल) को 9 सीटों पर जीत मिली है. अजित सिंह के राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को मात्र एक सीट मिली. तीन निर्दलीय उम्मीदवार जीते, जबकि निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के खाते में भी एक सीट गई.

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