यूपी के राज्यसभा चुनाव बीजेपी का बजा डंका

उत्तर प्रदेश की 10 सीटों पर राज्यसभा चुनाव के लिए हुए नामांकन के बाद आज सोमवार को सभी 10 उम्मीदवार निर्विरोध निर्वाचित हो गए। चुनाव के लिए मतदान की आवश्यकता नहीं पड़ी। विजेता उम्मीदवारों में भाजपा के आठ, सपा व बसपा का एक-एक प्रत्याशी है।

भाजपा के ये प्रत्याशी राज्यसभा पहुंचे:

  1. केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी
  2. भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री अरुण सिंह
  3. पूर्व डीजीपी बृजलाल
    4.  नीरज शेखर
  4. हरिद्वार दुबे
  5. गीता शाक्य
  6. सीमा द्विवेदी
  7. बीएल वर्मा

इसी तरह समाजवादी पार्टी की तरफ से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव और बसपा से रामजी गौतम को विजेता घोषित किया गया है। राज्यसभा के लिए 10 सीटों पर चुनाव होने थे जिन पर प्रत्याशियों का निर्विरोध चुना जाना पहले से ही तय था लेकिन समाजवादी पार्टी द्वारा एक निर्विरोध प्रत्याशी खड़ा किए जाने से हलचल मच गई। वहीं, बसपा के सात विधायकों ने सपा के समर्थन में अपना रुख जाहिर किया जिस पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने उन्हें तत्काल प्रभाव से पार्टी से निलंबित कर दिया।

हालांकि, इन चुनाव में बसपा व भाजपा के बीच करीबियां नजर आईं। जिस पर मायावती ने सोमवार को बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि वह राजनीति से सन्यास ले लेंगी लेकिन भाजपा के साथ गठबंधन कभी नहीं करेंगी।

मायावती ने कहा कि सपा सरकार में गुंडाराज से लोग त्रस्त थे। 1995 में सभी दलों ने कहा कि वह सपा से बाहर आ जाएं तो सब समर्थन करेंगे। तब भाजपा व कांग्रेस सहित अन्य छोटे दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई पर, विचारधारा व मूवमेंट से समझौता नहीं किया।

उन्होंने मतदाताओं से अपील की है कि वे गुमराह न हों। यूपी व मध्य प्रदेश के उपचुनाव के साथ बिहार विधानसभा चुनाव में बसपा प्रत्याशियों को मतदान करें।

वहीं, अखिलेश यादव ने कहा कि हमारी किसी से भी दुश्मनी नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में हमने भाजपा को रोकने के लिए गठबंधन किया था। हमने यहां पर उन्हें (भाजपा) कमजोर किया। अब बसपा ये कह रही है कि हमने उन्हें धोखा दिया।

अखिलेश यादव ने कहा कि यूपी में 2022 में चुनाव होने हैं लेकिन बसपा व भाजपा, समाजवादी पार्टी को विधान परिषद चुनाव हराना चाहती हैं इसका क्या कारण है मुझे पता नहीं। उन्होंने कहा कि आज प्रदेश की कानून-व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है। जनता भाजपा से परेशान हो चुकी है। मुझे खुशी है कि अन्य दलों से नए साथी आ रहे हैं और सपा को मजबूत कर रहे हैं। दरअसल, मायावती ने बयान दिया था कि विधान परिषद चुनाव में सपा को हराने के लिए वह भाजपा सहित किसी भी दल का समर्थन करने के लिए तैयार हैं।

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