यूपी और महाराष्ट्र के विधान परिषद चुनाव को व्यापक जनमत संग्रह करार दिया शिव सेना नेता किशोर तिवारी ने

महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में शिक्षक व स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के विधान परिषद चुनाव में प्रमुख सीटों पर भाजपा को मिली हार मोदी सरकार की नीति के खिलाफ जनमत संग्रह है। विदर्भ के किसान नेता और वसंतराव नाइक कृषि स्वावलंबन मिशन के अध्यक्ष (दर्जाप्राप्त राज्यमंत्री) किशोर तिवारी ने इस संबंध में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक डॉ. मोहनजी भागवत को फिर से एक गंभीर खुला पत्र लिखा है। इस पत्र के माध्यम से उन्होंने फिर एक राजनीतिक चर्चा को जन्म दे दिया है।

एक समय में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के करीबी रहे किशोर तिवारी अब शिवसेना नेता हैं। उन्होंने संघ प्रमुख को लिखे पत्र में देश के दो प्रमुख राज्यों उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के 60 लाख पढ़े-लिखे मतदाताओं के रुझान को अप्रत्यक्ष व्यापक जनमत संग्रह करार दिया है। तिवारी ने अपने इस पत्र में मोदीजी के प्रशासन से जुड़े कई अहम सवाल उठाएं हैं।

उन्होंने कहा कि पुरखों के पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र में शिक्षित नागरिकों में भाजपा की भारी हार, मोदी की नीति के खिलाफ एक व्यापक रोष का प्रतीक है। तिवारी ने डॉ. भागवत को पिछले दो वर्षों में लिखे पांचवे पत्र में कहा है कि आप मेरे विचारों से सहमत या असहमत हो सकते हैं। लेकिन संघ के एक पुराने अनुभवी स्वयंसेवक के रूप में इस पत्र को लिखने का कारण बहुत गंभीर और आवश्यक है। देश-विदेश के सभी स्वयंसेवक विधान परिषद चुनावों के नतीजे से चकित हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्षेत्र वाराणसी में, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर और आरएसएस के सबसे मजबूत गढ़ नागपुर में भाजपा नेटवर्क होने के बावजूद अपनी महत्वपूर्ण सीटें खो दी हैं। वाराणसी, इलाहाबाद-झांसी, गोरखपुर, पुणे, नागपुर और अमरावती में भाजपा की हार भाजपा के लिए एक बड़ा झटका है।

तिवारी ने अपने पत्र में बिना नाम लिए विपक्ष के नेता देवेंद्र फडणवीस पर प्रहार करते हुए उनकी पत्नी अमृता फडणवीस पर व्यंग्य किया है। उन्होंने लिखा है कि महाराष्ट्र भाजपा मे कुछ लोगों की चौकड़ी, हिंदुत्ववादी शिवसेना को हर रोज प्रताड़ित करती है। हार का मुख्य कारण तो सिर्फ और सिर्फ चौकड़ी का उन्माद है।

राजनैतिक मामलों में घरवाली (अमृता फडणवीस) का अनावश्यक हस्तक्षेप और “अमृता-वाणी” के माध्यम से फैले हुए विषैले प्रकार को रोकने का अनुरोध मैंने हमेशा किया था। अब यह संदेश फैलाया जा चुका है कि भगवान “इंद्र” (देवेंद्र) और उनकी “अमृता-वाणी” (अमृता फडणवीस) राज्य भाजपा के पूर्ण मालिक हैं। बाकी सब नगण्य गुलाम हैं। इसलिए अब भाजपा में संघ को हस्तक्षेप करना चाहिए

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