यूक्रेन के साथ पिछले 15 महीनों से जारी जंग में रूस ने दक्षिणी हिस्से में बड़ा हमला किया है और कखोव्का डैम को तोड़ दिया है। इससे बांध का पानी शहर में घुस गया है। शहर की गलियों और घरों में कई फीट पानी आ चुका है। इस जल प्रलय से बचने के लिए दक्षिणी यूक्रेन में हजारों लोग घरों की छतों पर आश्रय लिए हुए हैं। उनके सामने खाने-पीने का भारी संकट उठ खड़ा हुआ है। लोग पीने के पानी के लिए भी त्राहिमाम कर रहे हैं।
दक्षिणी यूक्रेन में पर्यावरणीय संकट:
बांध के टूटने से इलाके में पर्यावरणीय संकट भी उठ खड़ा हुआ है। बड़े पैमाने पर मवेशी मारे गए हैं। कई पशुओं को पानी में तैरते देखा गया है। रूस जनित इस मानवीय आपदा के एक दिन बाद दक्षिणी यूक्रेन में अपनी जान बचाने के प्रयास में सैकड़ों थके हुए लोगों को संघर्ष करते देखा गया। इनमें से कई लोग बैकपैक या पालतू जानवरों को लेकर जलमग्न गांवों से बुधवार को निकलते दिखे।
मिसाइल हमलों से भी बड़ी आपदा:
रूसी हमले में कखोव्का पनबिजली बांध के टूटने और नीपर नदी पर इसके जलाशय का पानी शहर में घुस जाने से यह संकट आया है। यह दुर्दशा इस क्षेत्र में एक साल से अधिक समय से तोपखाने और मिसाइल हमलों से भी बड़ा है। बाढ़ का पानी गांवों की गलियों से लेकर सड़कों और घरों के अंदर घुस चुका है। गांवों में लोगों को नावों पर भागते हुए देखा गया।
निपर नदी के दोनों किनारों पर दर्जनों घर की छतें बाढ़ के पानी में बह चुके हैं। दोनों पक्षों के अधिकारियों के अनुसार, रूसी और यूक्रेन नियंत्रित क्षेत्रों में कुल लगभग 3,000 लोगों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र निकाला गया है। हालांकि, यूक्रेन के लगभग 41,000 निवासियों की जान पर अभी भी खतरा बना हुआ है।
5 लाख हेक्टेयर भूमि बन जाएगी रेगिस्तान:
इस जल प्रलय में अभी तक किसी भी मौत की पुष्टि नहीं हुई है। यूक्रेन ने कहा कि बाढ़ के कारण हजारों लोग बेघर हो गए हैं और उनके पास पीने का भी पानी नहीं है। यूक्रेन के मुताबिक हजारों हेक्टेयर कृषि भूमि भी बाढ़ की चपेट में आ गई है और कम से कम 5,00,000 हेक्टेयर सिंचित भूमि “रेगिस्तान” में तब्दील हो जाएगी। उधर, रूस ने अपने नियंत्रण वाले खेरसॉन प्रांत के कुछ हिस्सों में,जहां कई कस्बे और गांव बांध के नीचे तराई में स्थित हैं, इमरजेंसी का ऐलान कर दिया है।