नई दिल्ली: रूस-यूक्रेन युद्ध का असर भारत समेत पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है. दुनियाभर के शेयर मार्केट में भारी गिरावट का दौर चल रहा है. भारतीय बाजार में 2702 अंक गिरावट के साथ ही रूसी बाजार भी 50% डाउन रहा है. इस सबके बीच क्रूड ऑयल की कीमतों में रिकॉर्ड इजाफा हुआ है. आशंका जताई जा रही है कि भारत में पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ सकते हैं. लेकिन दुनियाभर में पैलेडियम की कीमत में भी तेजी इजाफा होने लगा है. इसकी वजह ये है पैलेडियम का सबसे ज्यादा प्रोडक्शन रूस में होता है. ऐसे में रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच पैलेडियम ये जुड़ी चीजों के रेट में भारी इजाफा देखने को मिल सकता है. आइए इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
सोने से भी ज्यादा है कीमत
पैलेडियम चमकने वाला व्हाइट मेटल है. ये प्लैटिनम, रुथेनियम, रोडियम, ओस्मियम, इरीडियम वाले ग्रुप का हिस्सा है. ये रूस और दक्षिण अफ्रीका में भारी मात्रा में पाया जाता है. इसका इस्तेमाल गाड़ियों और ट्रकों जैसे वाहनों में प्रदूषण नियंत्रण उपकरण बनाने के लिए किया जा रहा है. एक ही साल में इसकी कीमत दोगुने से भी अधिक हो गई है. इसकी कीमत सोने से भी ज्यादा है.
इस वजह से है इतनी महंगी
पैलेडियम दुनिया की सबसे महंगी धातु है. इस धातु की सप्लाई और मांग में फर्क काफी अधिक है. इसका इस्तेमाल बढ़ रहा है क्योंकि सरकारें उत्सर्जन के नियमों को लेकर सख्त हो रही हैं. इसके चलते वाहन निर्माता कंपनियों को इस कीमती धातु की खपत बढ़ानी पड़ रही है. इस धातु की शॉर्टेज बनी रही है. यह उतनी मात्रा में मौजूद नहीं है, जितनी इसकी मांग है.
मोबाइल फोन और डेंटल ट्रीटमेंट में होता है इस्तेमाल
पेट्रोल और हाइब्रिड गाड़ियों के एग्जॉस्ट में इस्तेमाल होने वाले कैटेलिटिक कनवर्टर पैलेडियम से तैयार किए जाते हैं. 2009 में पहली बार पेट्रोल गाड़ियों की बिक्री डीजल गाड़ियों के मुकाबले बढ़ गई थी. 80% पैलेडियम का इस्तेमाल कार्बन मोनोक्साइड, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड जैसी जहरीली गैसों को नाइट्रोजन, कार्बन डाईऑक्साइड जैसी कम नुकसानदेह गैसों में बदलने के लिए किया जाता है. इसके अलावा मोबाइल फोन, इलेक्ट्रिक इक्युपमेंट्स, डेंटल ट्रीटमेंट, ज्वैलरी में पैलेडियम का इस्तेमाल किया जाता है.