आईसीसी वर्ल्ड कप 2019 में जब भारत ने ऑस्ट्रेलिया को पराजित किया तो उसके एक दिन बाद पूर्व भारतीय ऑल राउंडर युवराज सिंह ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया था। उनका इंटरनेशनल क्रिकेट करियर 15 साल का रहा। युवराज सिंह ने सफलता के कई मुकाम देखे। 2000 से 2017 तक युवराज का करियर शानदार रहा, लेकिन अंतिम वर्षों में वह टीम में वापसी नहीं कर पाए। हाल ही में गौरव कपूर के साथ बातचीत में युवराज ने बताया कि उन्होंने जून 2019 में ही संन्यास क्यों लिया। 
बाएं हाथ के इस ऑल राउंडर ने 2007 के टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 के वनडे विश्व कप में भारत के लिए जीत के दरवाजे खोले। युवराज सिंह ने अपने संन्यास के बारे में बात करते हुए कहा, ”जब आप तेज गति से दौड़ रहे होते हो तो आपको अहसास नहीं होता कि क्या हो रहा। अचानक जब आप 2-3 महीने से घर पर बैठ जाते हैं तो आपको लगता है कि बाहर इतना सब कुछ हो रहा है और आप घर बैठे हैं। मैं इस चरण में पहुंच गया था, जब क्रिकेट मानसिक रूप से मेरी कोई मदद नहीं कर रहा था।”
उन्होंने आगे कहा, ”मैं हमेशा क्रिकेट खेलना चाहता था, मैं खुद को घसीट रहा था और सोच रहा था कि कब मुझे क्रिकेट से रिटायर होना है। मुझे रिटायर हो जाना चाहिए या नहीं। क्या मुझे खेलते रहना चाहिए?”
उन्होंने कहा, ”कई बार मैं गेम मिस करता, लेकिन कई बार कुछ भी मिस नहीं करता। आखिर मैं बहुत लंबे समय तक खेल चुका था। मेरे पास फैन्स के बहुत से मैसेज आते। मुझे फैन्स का इतना प्यार मिला, मैं भाग्यशाली हूं। मुझे इस खेल ने बहुत सम्मान दिया। लगभग 20 साल तक मैं क्रिकेट खेलता रहा। मुझे लगा कि यही सही समय है क्रिकेट को अलविदा कहने का। मेरे लिए यह बहुत भावनात्मक समय था। उसे मैं शब्दों में नहीं बता सकता। रिटायर होने के बाद मैंने खुद को फ्री महसूस किया और मानसिक रूप से खुश।”
युवराज सिंह लिमिटेड ओवर में टीम इंडिया का नियमित हिस्सा रहे। नंबर 4 पर बल्लेबाजी करते हुए उन्होंने बहुत से यादगार पल भारतीय क्रिकेट को दिए। 2017 की चैंपियंस ट्रॉफी में जब उन्हें ‘मैन ऑफ द मैच’ का अवॉर्ड मिला तो उनका चेहरा देखने लायक था। इसके कुछ महीने बाद उन्हें वेस्टइंडीज दौरे के लिए नहीं चुना गया। उसके बाद वह टीम में वापसी नहीं कर पाए।
भारत की तरफ से 304 वनडे, 40 टेस्ट और 58 टी-20 मुकाबले खेलने वाले युवराज भारत की 2007 में टी-20 वर्ल्ड कप और 2011 में वनडे वर्ल्ड कप जीतने वाली टीम का हिस्सा रहे थे। उन्होंने अपनी रिटायरमेंट के वक्त कहा था, ”मैं बहुत भाग्यशाली हूं कि मैंने भारत के लिए 400 से ज्यादा मैच खेले। जब मैंने अपना क्रिकेट करियर शुरु किया था तब मैंने कभी यह कल्पना नहीं की थी कि मैं यहां तक पहुंचूंगा। मैंने इस खेल को इतना प्यार किया जिसे मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता। इस खेल ने मुझे सिखाया कि किस तरह लड़कर उठा जाता है।”
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