भारत-चीन के बीच गलवां घाटी को लेकर तनाव चरम पर है। भारत सरकार चीनी उपकरणों को प्रतिबंधित करने की तैयारी में है। इस बीच सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्यमंत्री और पूर्व सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह ने कहा कि युद्ध एक अंतिम विकल्प है।
उन्होंने कहा कि चीन की धोखेबाजी ने दोनों देशों के बीच विश्वास में कमी पैदा कर दी है। चीन को सबक सिखाने के लिए कई और रास्ते हैं, उनमें से एक चीन का आर्थिक रूप से बहिष्कार करना है।
जनरल वीके सिंह ने कहा कि हमें चीन को आर्थिक रूप से चोट पहुंचाने होगी। सबसे पहले हमें चीनी सामानों का बहिष्कार करना होगा। यहीं से शुरू करना चाहिए। जब बाकी चीजें असफल हो जाती हैं, तब आप युद्ध का विकल्प चुनते हो।
उन्होंने बातचीत में कहा कि गलवां घाटी में जमीनी हालात भारतीय सैनिकों के नियंत्रण में है और कोई घुसपैठ नहीं हुई है। जहां तक पीपी 14 का संबंध है, वहां कोई घुसपैठ नहीं हुई है।
चीनी सैनिक हर साल स्थानांतरित करने की कोशिश करते हैं, लेकिन हम हर बार उन्हें वापस भेज देते हैं। वहीं, पैंगोंग सो में ऐसे हालात हमेशा नहीं होते हैं।
गर्मियों और सर्दी के मौसम में कभी कभार ऐसी स्थिति पैदा हो जाती है। चीन के सैनिक क्या हमारे क्षेत्र में थे या नहीं? इस सवाल का जवाब देते हुए राज्यमंत्री ने कहा कि ‘वे हमारे क्षेत्र में नहीं हैं।
एलएसी को लेकर 1959 के नक्शे से व्याख्या है और चीन इसको लेकर अपने दावे आगे बढ़ाता रहता है ‘। एलएसी जमीन पर कोई निशान नहीं है और कोई समझौता भी नहीं है, लेकिन वहां दोनों पक्ष अपनी सीमा को जानते हैं और इसकी निगरानी करते हैं।