अपने अब तक सब्जी मंडी के बारे में सुना होगा लेकिन कभी दूल्हा मंडी के बारे में नहीं सुना होगा. आज हम ऐसी ही एक मंडी के बारे में बताने जा रहे हैं. इसके बारे में सुनकर आप भी चौंक जायेंगे. यहां अपने मनपसंद दूल्हा चुना जा सकता है.इस मंडी में बिकने के लिए तैयार बैठे दूल्हों को देख कर सब्जी मंडी की याद आ जाती है. आइये आपको भी बता देते हैं कहाँ लगती है ये मंदिर जहां बेचे जाते हैं दूल्हे. 
दरसल, बिहार के मिथिलांचल यानी मधुबनी जिले में दूल्हों की मंडी सजती है. जहां अपने मनपसंद दूल्हा चुना जा सकता है. इस मंडी में बिकने के लिए तैयार बैठे दूल्हों को देख कर सब्जी मंडी की याद आ जाती है. सभागाछी के नाम से भी पहचाने जाने वाले इस मेले की लोगों के बीच बहुत मान्यता है. इसी के चलते यहां दूल्हों की मंडी लगती है. यहां खासतौर पर मैथिल ब्राह्मण परिवारके बेटे किस्मत आजमाने आते हैं. जिन्हें देखने और चुनने के लिए लोग देश से ही नहीं विदेशों से भी दौड़े चले आते हैं. 9 दिनों तक चलने वाले इस मेले में पंजीकारों की भूमिका बेहद बड़ी होती है.
इसमें पंजिकर ही यहां तय होने वाले रिश्तों को मान्यता देते हैं. पंजीकरण में पिता पक्ष और ननिहाल पक्ष के 7 पीढ़ी तक के रिश्तों को परखा जाता है. किसी भी तरह का संबंध होने पर विवाह नहीं होता है, क्योंकि माना जाता है कि ऐसे में दोनों की नाड़ी समान होती है. यानि सभी कुछ देख परख कर ही शादी की जाती है. यह मेला लगभग 700 साल पहले शुरू हुआ था. साल 1971 में यहां लगभग 1.5 लाख लोग विवाह के समंबंध में आए थे लेकिन वर्तमान में आने वालों की संख्या काफी कम हो गई है.
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