आग के दरिया के ऊपर से गुजरती 32 किलोमीटर रेलवे की पटरी कभी भी धरती के गर्भ में समा सकती है. ये हम नहीं कह रहे, बल्कि देश में किसी भी तरह के खनन और खदान की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालने वाली संस्थान ‘खान सुरक्षा महानिदेशालय’ कह रही है. स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है की कभी भी पूरी की पूरी ट्रेन धधकती आग के दरिया में समा जाए. स्थिति को गंभीरता से लेते हुए अब धनबाद से चन्द्रपुरा के बीच बारह रेलवे स्टेशनों पर रेलगाड़ी की छुकछुक और उसकी सीटी की आवाज सुनाई नहीं पड़े इसकी कवायद भी अब लगभग शुरू हो चुकी है.
मध्य पूर्व रेलवे के धनबाद से चंद्रपुरा की 34 किमी लंबी रेल लाइन. इस लाइन से हर साल 1.25 करोड़ यात्री सफर करते हैं. यहां 26 जोड़ी ट्रेनें चलती हैं. साथ ही 80 हजार टन कोयले की ढुलाई यहां से रोजाना होती है. ये कोयला देश के सात राज्यों में जाता है (झारखंड के अलावा बिहार, बंगाल, यूपी, हरियाणा, राजस्थान और पंजाब). रोजाना जाने वाले इस कोयले से ही इन राज्यों के 23 पावर प्लांट्स भी चलते हैं. लेकिन अब इस रेल लाइन को बंद करने की कवायद चल रही है क्योंकि इस रेलखंड पर तीन जगहों पर जमीन के अंदर आग लगी है.
सबसे ज्यादा खराब स्थिति नॉर्थ गोविंदपुर की है साथ ही चंद्राबास जोड़ा और अंगार पथरा की स्थिति भी भयावह है. यहां एक वर्ग किमी के दायरे में आग की लपटे हैं. यह आग वाला हिस्सा झरिया के खदानों से ही जुड़ा है जहां पिछले 100 वर्षों से जमीन के अंदर आग धधक रही है. धनबाद से रांची को जोड़ने वाली सीआईसी सेक्शन के बीच धनबाद-चंद्रपुरा रेल स्टेशन के बीच पड़ने वाली कुसुंडा, बसेरिया, बंसजोडा, सिजुआ, अंगरपथरा, कतरास गढ़, तेतुलिया, सोनारडीह, टूदू, बुधौरा, फुलवारीटांड़ और जमुनिया स्टेशनों पर दर्जनों एक्सप्रेस ट्रेनें चलती हैं. इस रूट पर शताब्दी के अलावा कई सवारी गाड़ियां और अनगिनत मालगाड़ियां भी चलती हैं. लेकिन, अब यह इतिहास बनने वाली है. रेलवे राज्य मंत्री ने भी साफ कहा है कि यात्रियों की जान को जोखिम में नहीं डाला जाएगा.
धनबाद चन्द्रपुरा रेल लाइन भूमिगत आग की चपेट में है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता. सेंदरा बंसजोडा, अंगार पथरा और सोनारडीह में तो विशेष कर खुली आंखों से आग का प्रकोप देखा जा सकता है. वैसे इस मामले में पीएमओ, रेलवे, डीजीएमएस और बीसीसीएल इस समस्या का समाधान खोजने में लगे हैं. हालांकि सबकी अपनी दलीलें, आरोप और बचाव हैं. लेकिन, पीएमओ ने इन तीनों से अपडेट रिपोर्ट मांगी है. इसके बाद फैसला होगा कि रेल लाइन बंद करें या नहीं. डीजीएमएस 2005 से रेलवे को चेता रहा है कि ट्रेनों का संचालन बंद करें. हालांकि उसने बीसीसीएल को कोयला खनन करने से नहीं रोका. दलील दी कि कोयला नहीं निकालते तो आग और फैलती.