मौसम को देखकर चढ़ता है अवैध शराब का ‘नशा’

गंगा किनारे तड़के निकलो तो यही लगेगा कि यहां गरीबी और बेरोजगारी में जीवन यापन करने वालों को कच्ची शराब का लघु उद्योग चलाने को जमीन मिल गई हैं। शहर में कटरी और बाहरी क्षेत्र में खादी, आबकारी विभाग और शराब माफिया के काकटेल में खाकी का तड़का मिलावटी शराब (कच्ची शराब) के धंधे को दिन रात बढ़ा रहा है। इसी वजह से सब इससे निगाहें फेरे हैं।

बिल्हौर से महाराजपुर तक गंगा कटरी किनारे बसे मोहिद्दीनपुर, गौरी, राधन, अकबरपुर सेंग, भूवैरापुर, आंकिन, नजफगढ़, नारायणपुर, राजापुर, बगहा, रघुनाथपुर और छांजा गांवों में सीजन के हिसाब से कच्ची शराब बनाई जाती है। रघुनाथपुर, नजफगढ़ व छांजा में अधिकतर महिलाएं ही शराब बनाने का काम करती हैं। गन्ने का मौसम खत्म होते ही महुआ और सड़े गेहूं व जौ से शराब बनाने का काम शुरू हो जाता है। धंधे से जुड़े लोग रसूखदार, पुलिस व आबकारी विभाग की कठपुतली ही हैं क्योंकि कमाई का एक बड़ा हिस्सा तो इन्हीं की झोली में जाता है। तैयार माल शराब के ठेकों के साथ ही आसपास इलाकों में फेरी लगा और परचून की दुकान में रख कर खुलेआम बेचा जाता है। जानकारी होने के बाद भी लघु उद्योग की तरह पनप रहे इस अवैध कारोबार को बंद कराने के लिए कोई ध्यान नहीं दे रहा।

महिलाएं बनतीं ढाल

महिलाओं के शराब के कारोबार से जुड़ने की खास वजह है। बताते हैं कि आबकारी टीम के साथ छापेमारी के दौरान कोई महिला सिपाही नहीं होती है लिहाजा धंधे से जुड़े लोग महिलाओं को आगे कर देते हैं और खुद भाग निकलते हैं।

ज्यादा नशा बढ़ाने के चक्कर में होती जहरीली

ज्यादा नशीला बनाने के चक्कर में शराब जहरीली हो जाती है। देशी ठेके में ऐसी शराब की ‘मसाला शराब’ के नाम से बिक्री होती है। इसमें दुकानदार मिथाइल, नौसादर, अलप्राक्स, डाइजापाम आदि का मिश्रण मिला देते है। जब यह गलत मात्रा में होता है तो घातक हो जाता है। जैसा कि सचेंडी की घटना में होना बताया जा रहा है।

कैसे तैयार होती है कच्ची शराब

-गुड़ का शीरा, महुआ, बेशरम का पत्ता, नीम की पत्ती आदि को मिलाकर इसे सड़ाने को जमीन में गाड़ दिया जाता है।

-करीब 10-15 दिन बाद इसे निकालकर भट्टी पर चढ़ाया जाता है। इसके बाद शराब को नशीला बनाने के लिए मिथाइल मिलाया जाता है।

– मिथाइल न मिलने पर नौसादर या फिर यूरिया या वाशिंग पाउडर मिलाकर शराब तैयार की जाती है।

-अधिक नशीला बनाने को अलप्राक्स समेत अन्य नशीली गोलियों का घोल भी मिलाया जाता है।

मिथाइल से तैयार शराब होती घातक

नकली शराब तैयार करने में इस्तेमाल किया जा रहा मिथाइल बेहद घातक है इसमें एल्कोहल की मात्रा अधिक होने पर शराब का सेवन करने वाले की आंख की रोशनी जा सकती है। यदि मात्रा और अधिक हुई तो पीने वाले की जान भी जा सकती है।

किससे कितना होता नुकसान

नौसादर : कापर सल्फेट नाम से जाना जाता है। इससे चर्म रोग की आशंका।

नाइट्राबेट व डायजापाम : नींद की दवा है। आंख व दिमाग को क्षति पहुंचाती है।

मिथाइल : घातक अम्ल है। इसके प्रयोग से जान को खतरा।

यूरिया : खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाती है। धीमे जहर का काम करती है।

आक्सीटोसिन : इस इंजेक्शन का प्रयोग प्रसव के दौरान चिकित्सक करते हैं।

तस्करी के तरीके भी अनोखे

अवैध शराब कारोबारी शराब बेचने के लिए भी तमाम तरह के पैतरे अपनाते हैं। वे विशेष प्रकार के वाहन पर ड्रम या प्लास्टिक के गैलन आदि में शराब तो ले ही जाते हैं साथ ही वाहनों के टायर ट्यूब, वालीबाल के ब्लाडर का भी इसके लिए इस्तेमाल किया जाता है। जिनमें हवा की जगह कच्ची शराब भरकर उसे नाव या फिर वाहनों के माध्यम से ले जाया जाता है। ये लोग फेरी लगाने से लेकर परचून की दुकानों तक पर बेचते हैं।

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