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नई दिल्ली (जिमित मोदी)। नकदी किल्लत को नजरअंदाज करते हुए बीते हफ्ते बाजार का रुख सकारात्मक रहा। सप्ताह के अंत में कुछ मुनाफावसूली देखी गई। डॉलर की मजबूती और नोटबंदी से घबराए विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) ने 17800 करोड़ रुपये के शेयरों की बिक्री की। इसके उलट घरेलू निवेशकों ने रिकॉर्ड 18200 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर खरीदे।
अगले सप्ताह कुछ सत्र काफी उठापटक वाले रह सकते हैं। हालांकि नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी के 7900 और 8300 अंक के दायरे में रहने की उम्मीद है। शॉर्ट टर्म ट्रेडर्स को रिजर्व बैंक की नीति की घोषणा का इंतजार है। इसी से बाजार की दिशा तय होगी। यदि दरें घटती हैं तो निश्चित ही कुछ तेजी आएगी। ऐसा नहीं होने पर यह दबाव में रहेगा। वैसे उम्मीद है कि ऐसे समय में जब देश नकदी की किल्लत से गुजर रहा है, रिजर्व बैंक (आरबीआइ) सात दिसंबर यानी बुधवार को होने वाली बैठक में ब्याज दर में आधा फीसद कटौती कर सकता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि 0.25 फीसद की कमी तो होनी ही चाहिए। हालांकि, हाल में घटी महंगाई को देखते हुए संभव है कि आरबीआइ 50 आधार अंकों यानी आधा फीसद की कटौती कर दे।
रिलायंस जियो ने बीते सप्ताह 5 करोड़ से अधिक ग्राहक बना लेने का एलान किया। साथ ही फ्री ऑफर की अवधि मार्च, 2017 तक बढ़ा दी। इससे टेलीकॉम सेक्टर में उथल- पुथल हुई। पुरानी कंपनियों के शेयरों पर इसका प्रतिकूल असर पड़ा। हालांकि जियो के सामने सबसे बड़ी चुनौती तब आएगी जब फ्री ऑफर का दौर खत्म होगा। तभी पता चलेगा कि वास्तव में कंपनी से कितने लोग जुड़े रहते हैं। बाजार मुनाफा बनाने के दौर में है। उसे किसी सार्थक संदेश का इंतजार है। आठ साल बाद तेल निर्यातक देशों का संगठन ओपेक दोबारा सक्रिय हुआ है।
रूस ने कच्चे तेल (क्रूड) के उत्पादन में कटौती की प्रतिबद्धता जताई है। यह भारत के लिहाज से शुभ संकेत नहीं है। भारत अपनी जरूरत का 70 फीसद से ज्यादा क्रूड आयात करता है। यदि अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें बढ़ती हैं तो बीते साल इसके कम दाम और उससे मिला फायदा घटेगा। नवंबर के ऑटो सेक्टर की बिक्री के आंकड़े इशारा करते हैं कि नोटबंदी ने उसे पूरी तरह गिरफ्त में नहीं लिया है। वैसे, टू व्हीलर सेगमेंट में हीरो मोटो ने गिरावट दर्ज की है। बावजूद इसके स्टॉक मूल्यों में स्थिरता है जो संकेत है कि बाजार ने नोटबंदी के असर पर परिपक्वता के साथ प्रतिक्रिया दी है।