मोदी सरकार बाढ़ राहत की राशि देने में एक जाति विशेष के पीडि़तों की उपेक्षा कर रही: कांग्रेस नेता कीर्ति आजाद

बाढ़ राहत को ले पूर्व सांसद कीर्ति झा आजाद ने शनिवार को सरकार पर हमला बोला। कहा- बाढ़ राहत की राशि देने में एक जाति विशेष के पीडि़तों की उपेक्षा की जा रही है। वैसी जाति बहुल्य गांवों को आंशिक प्रभावित बताकर राहत से वंचित किया गया है। आजाद ने कहा कि 1987 से भी प्रलयंकारी बाढ़ की चपेट में इस वर्ष दरभंगा जिले है। लेकिन संपूर्ण जिले को बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित नहीं कर प्रभावित लोगों की नई परिभाषा गढ़ी जा रही है, ताकि वैसे सभी प्रभावितों को राहत से वंचित किया जा सके।

कोरोना का महासंकट पहले से बरकरार है। इसपर बाढ़ की त्रासदी ने गरीबों का जीना मुश्किल कर दिया है, रोजगार-धंधे अप्रैल से ठप है। केंद्र सरकार के लिए काला धन वाला पैसा अभी वितरित करने का सही समय है। लेकिन महज छह हजार की राशि की घोषणा पीडि़तों के साथ अन्याय है। सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में भेदभाव किया जाता है । प्रधानमंत्री आवास योजना हो अथवा मुख्यमंत्री आवास योजना, लाभार्थियों की सूची से ही स्पष्ट हो जाएगा कि सरकार का न्याय के साथ विकास महज धोखा है। उन्होंने सभी बाढ़ प्रभावित को 25 हजार रुपये देने की मांग की है।

बाढ़ और कोरोना काल के बीच जिले की एक बड़ी आबादी बिजली और मोबाइल नेटवर्क समस्या से इन दिनों जूझ रही है। बता दें कि जिले के 18 प्रखंडों में से 15 प्रखंड बाढ़ से प्रभावित हैं। इनमें कुशेश्वरस्थान, हनुमानगर, केवटी, कमतौल सबसे ज्यादा बाढ़ प्रभावित है। इन क्षेत्रों में बीते एक माह से बाढ़ का पानी जमा हुआ है। खेत-खलिहान सहित गावों में पानी प्रवेश रहने के कारण बिजली आपूर्ति बाधित है। बिजली नहीं मिलने से मोबाइल नेटवर्क में भी खलल पड़ रही है। जिले के 1024 गावों की 20 लाख आबादी बाढ़ से प्रभावित है।

कुशेश्वस्थान और हनुमानगर के एक लाख से अधिक आबादी बिजली की समस्या झेल रही है। कुशेश्वरस्थान के 35 हजार बिजली उपभोक्ताओ को सिर्फ 12 घंटे बिजली आपूर्ति मिल पा रही है। वहीं हनुमानगर प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों गांव में रात को भी बिजली की समस्या बनी रहती है। अब तक प्रशासन की ओर से इन क्षेत्रों में बिजली और मोबाइल नेटवर्क बहाल करने को ले कोई ठोस पहल नही की जा रही है। धूप अंधेरे में जहरीले जंतुओं का भय और बारिश से बाढ़ प्रभावितों में बेचैनी देखी जा रही है। बाढ़ प्रभावित लोग सड़क किनारे और छतों पर शरण लिए हुए हैं। इन लोगों की परेशानियों का कोई अंत नहीं है।

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