साल 2019 की समान अवधि में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 2.93 फीसदी थी। सरकार ने सोमवार को मुद्रास्फीति की आंकड़े जारी किए, जिसके अनुसार मुख्य रूप से खाने-पीने के सामान के जनवरी के मुकाबले फरवरी में सस्ता होने के कारण थोक महंगाई दर में यह कमी आई है।
महंगाई दर में कमी आने की सबसे बड़ी वजह दालों और सब्जियों की कीमत में कमी है। लेकिन अंडे और मांस-मछली की महंगाई दर में थोड़ी तेजी फरवरी में देखने को मिली है।
अंडे और मांस-मछली की महंगाई दर 6.73 फीसदी से बढ़कर 6.88 फीसदी पर आ गई। आलू की महंगाई दर में भी कमी देखी गई है। सब्जियों में इसके दाम में कमी का असर खाद्य महंगाई में कटौती के तौर पर देखा जा रहा है।
पिछले सप्ताह सरकार द्वारा खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े भी जारी किए गए थे। खाद्य कीमतों में नरमी के चलते खुदरा मुद्रास्फीति फरवरी में धीमी पड़कर 6.58 फीसदी पर आ गई।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जनवरी 2020 में 7.59 फीसदी थी। जबकि फरवरी 2019 में यह आंकड़ा 2.57 फीसदी था। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, फरवरी 2020 में खाद्य क्षेत्र की महंगाई घटकर 10.81 फीसदी रही जो जनवरी में 13.63 फीसदी थी।
अप्रैल में भारतीय रिजर्व बैंक ( RBI ) अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में प्रमुख नीतिगत दरों की समीक्षा करेगा। आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति के चार फीसदी पर सीमित करने का लक्ष्य रखा है।
ऐसे समय में सरकार द्वारा मुद्रास्फीति के आंकड़े जारी होना अहम है। ऐसा इसलिए क्योंकि रिजर्व बैंक की द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा में नीतिगत दरों को तय करने में मुद्रास्फीति जरूरी कारक होता है।
मालूम हो कि फरवरी में आयोजित द्विमासिक बैठक में केंद्रीय बैंक ने महंगाई दर को देखते हुए रेपो रेट को यथावत रखने का निर्णय किया था।