“मोदी सरकार ने बिहार के CM नीतीश कुमार को बहुत कमज़ोर और मजबूर कर दिया: तेजस्वी यादव

बिहार में विपक्ष के नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को एक चिट्ठी लिखी है. जिसमें उन्होंने कांग्रेस की मनमोहन सरकार और नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल को क्या मिला, इसकी तुलना की गई. इस चिट्ठी के जरिए तेजस्वी यादव ने केंद्र और राज्य की डबल इंजन वाली सरकार पर तंज कसा.

तेजस्वी यादव ने चिट्ठी में लिखा, “जुलाई 2017 में जनादेश चोरी के बाद जब बिहार में अनैतिक सरकार बनी थी, तब जनादेश अपमान की शर्मिंदगी दबाने और न्यायप्रिय लोकतांत्रिक लोगों को सांत्वना देने के लिए आप ज़ोर-शोर से कहते थे कि दशकों बाद केंद्र और बिहार में एक गठबंधन की सरकार बनी है. अब डबल इंजन सरकार में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा, विशेष पैकेज और केंद्रीय योजनाओं में प्राथमिकता मिलेगी, लेकिन बिहार को अब भी उसका वाजिब हक क्यों नहीं मिल रहा है?”

तेजस्वी ने आगे कहा, “पटना में भरे मंच से आपके द्वारा बार-बार मिन्नतें करने के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय बनाने से इंकार कर दिया था.

उसके एवज में प्रधानमंत्री ने जो विशेष आर्थिक सहायता पटना विश्वविद्यालय को देने का वादा किया था उसे आज तक पूरा नहीं किया है? क्या यही आपकी हैसियत है कि आप 100 वर्ष पुराने पटना विश्वविद्यालय को केंद्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा तक नहीं दिला सकते?

प्रधानमंत्री को उनका बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का टेप और वीडियो क्यों नहीं दिखाते? जैसा आप 15 लाख सबके खाते में डालने वाला दिखाते थे? प्रधानमंत्री ने 2015 के विधानसभा चुनावों में बिहार के लिए एक लाख 65 हज़ार करोड़ के विशेष पैकेज की घोषणा की थी.

सूबे के मुखिया होने के नाते आप बताएं कि उनमें से कितनी घोषणाएं पूर्ण हुई और कितनी ऐसी परियोजनाएं हैं जिनका अभी शिलान्यास भी नहीं हुआ है और पैकेज में से कितनी राशि राज्य सरकार को प्राप्त हुई है?”

उन्होंने कहा, “अपने मंत्रिमंडल में शामिल बीजेपी के 11 मंत्रियों और ज्ञानी-ध्यानी उपमुख्यमंत्री को दिल्ली दौड़ाइए. अगर ये लोग आपके अपमान, बेबसी और लाचारी को देखकर भी अपनी पार्टी से बिहार को केंद्रीय मदद दिलाने में असफल हैं तो इन्हें मंत्रिमंडल से तुरंत बर्खास्त करिए.

बिहार का अहित सोचने वाले ऐसे मंत्रियों को हटाने में किस बात का डर? आपके चेहरे पर तो सरकारें बनती हैं ना? फिर अकेले चुनाव लड़ने में क्या डर? अगर आपने 15 साल कथित विकास किया है तो लड़िए अकेले?”

पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी ने कहा, “क्या आप जवाब दे सकते हैं कि पिछले साल बिहार में दो बार भीषण बाढ़ आई लेकिन केंद्र से क्या मदद मिली? आपने केंद्र से कितने की मांग की और मिला कितना? बिहार से छोटे और तुलनात्मक रूप से बाढ़ से कम नुकसान वाले दूसरे राज्यों को दी गई मदद बिहार से कई गुना अधिक है.

कर्नाटक को 3000 करोड़ तो एमपी को 1700 करोड़ मिले लेकिन बिहार की डबल इंजन वाली ट्रबल सरकार को मात्र 400 करोड़ ही दिए गए. क्या यह आपका अपमान है या बिहार का? अगर आपका अपमान है तो कृपया इसके चलते बिहार का नुकसान ना करिए? शायद वो आपको ब्याज सहित जनादेश चोरी का लाभ चुकता कर रहे हैं.”

उन्होंने चिट्ठी में लिखा, “याद किजीए, 2008 में लालू जी ने संकीर्ण राजनीति से ऊपर उठते हुए नकारात्मकता से परिपूर्ण अवसरवादी बिहार सरकार को लोकहित राजनीति का पाठ पढ़ाते हुए कुछ जिलों तक सीमित कोसी त्रासदी के समय केंद्र से पर्याप्त सहायता बिहार को दिलाई थी.

यूपीए सरकार के कार्यकाल के दौरान लालू जी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री सरदार मनमोहन सिंह और यूपीए अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी के सहयोग से बिहार के विकास कार्यों के लिए 1 लाख 44 करोड़ की सहायता राशि दिलवाई थी, लेकिन अभी डबल इंजन की सरकार में बिहार को क्या मिला?”

तेजस्वी यादव ने चिट्ठी में आगे लिखा, “मोदी सरकार ने आपको इतना कमज़ोर और मजबूर कर दिया है कि आप खुशी-खुशी आर्टिकल 370, तीन तलाक, सीएए, एनआरसी और एनपीआर का समर्थन कर रहे हैं और साथ ही साथ बिहार का वित्तीय नुकसान भी झेल रहे हैं.

अच्छा हुआ देश की आवाम ने इस बहाने आपकी सिद्धांतहीन कुर्सीवादी राजनीति और सालों धर्मनिरपेक्ष होने के प्रपंच को पहचान लिया है. बिहार का नुकसान करने से अच्छा है राजभवन जाकर आप इस्तीफा दे दिजीए.”

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