अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में ऐतिहासिक गिरावट के बाद देश में राहत की उम्मीद कर रहे लोगों को केंद्र सरकार ने झटका दिया है। मंगलवार देर रात पेट्रोल पर 10 रुपये और डीजल पर 13 रुपये प्रति लीटर उत्पाद शुल्क और बढ़ा दिया गया।
हालांकि, इससे खुदरा दरें नहीं बढ़ेंगी, लेकिन ग्राहकों को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में कमी का फायदा नहीं मिलेगा। कोरोना वायरस और अमेरिका-रूस में एक-दूसरे से ज्यादा तेल उत्पादन की लगी होड़ के कारण कच्चे तेल की कीमत में बड़ी गिरावट दर्ज की जा रही है।
कोरोना काल में घटते राजस्व की भरपाई के लिए दिल्ली सरकार ने सख्त वित्तीय फैसला लिया है। इसके तहत सरकार ने पेट्रोल व डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी की है।
मंगलवार से पेट्रोल के दाम में 1.67 रुपये व डीजल के दाम मेें 7.10 रुपये का इजाफा कर दिया गया है। नई दरों पर दिल्ली में पेट्रोल अब 71.26 रुपये व डीजल 62.29 रुपये हो गया है। इससे पहले सरकार ने शराब की कीमतें भी 70 फीसदी बढ़ा दी हैं।
अधिकारियों का कहना है कि पेट्रोल व डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी दिल्ली सरकार के वैट की दरें बढ़ाने के फैसले से हुई हैं। सरकार ने पेट्रोल पर लगने वाले 27 फीसदी के मौजूदा वैट की दर को बढ़ाकर 30 फीसदी कर दिया है, जबकि डीजल पर लगने वाला 16.77 फीसदी का वैट अब 30 फीसदी होगा। इसका सीधा असर लॉकडाउन में मिली छूट के बाद आम लोगों पर पड़ेगा। पेट्रोल व डीजल की कीमतें बढ़ने से उनकी जेबें ढीली होंगी।
उपमुख्यमंत्री व वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया ने कीमतों की इस बढ़ोतरी पर हालांकि अभी सीधे तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन एक ट्वीट में उन्होंने लिखा कि बतौर वित्त मंत्री सीख यही है कि मुश्किल दौर में मुश्किलों से भरे फैसले लेने पड़ते हैं।
मुख्यमंत्री ने भी राजस्व घटने का दिया था हवाला
इससे पहले मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कहा था कि दिल्ली के राजस्व में बड़े पैमाने पर गिरावट आई है। आंकड़ा पेश करते हुए उन्होंने बताया था कि पिछले साल अप्रैल में दिल्ली सरकार को 3500 करोड़ रुपये का राजस्व मिला था, जबकि लॉकडाउन की वजह से इस साल यह आंकड़ा सिर्फ 300 करोड़ रुपये रह गया है।
राजस्व में बढ़ोतरी न होने पर उन्होंने कर्मचारियों के वेतन पर संकट आने की आशंका जाहिर की थी। इससे साफ हो गया था कि दिल्ली सरकार सख्त वित्तीय फैसले लेने जा रही है।