मोदी के लिए जून में ट्रंप से मुलाकात से पहले पुतिन से मिलना क्यों है जरूरी?

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी चार देशों की विदेश यात्रा पर है. 6 दिन के इस तूफानी यात्रा पर मोदी की मुलाकात जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन और रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से होगी. इन मुलाकातों में जहां रक्षा और कारोबारी समझौते अहम हैं वहीं इस यात्रा में राष्ट्रपति पुतिन से मुलाकात की एक खास वजह भी है. पुतिन से मुलाकात के बाद मोदी की 2017 की सबसे अहम मुलाकात अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से होनी है. और ट्रंप से होने वाली इस मुलाकात से पहले मोदी-पुतिन की मुलाकात में इन अहम मुद्दों पर स्थिति साफ करने की जरूरत है.

मोदी के लिए जून में ट्रंप से मुलाकात से पहले पुतिन से मिलना क्यों है जरूरी?

भारत-रूस दोस्ती?

भारत और रूस के मौजूदा रिश्ते की नींव सोवियत संघ के दौर में दोनों देशों के बीच हुई 1971 फ्रेंडशिप ट्रीटी पर रखी हुई है. लिहाजा, रूस-भारत संबंध देश की विदेश नीति का एक मजबूत स्तंभ है. इसके बाद 2000 में दोनों देशों के बीच स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप का ऐलान किया गया जिसे एक बार फिर 2010 में स्पेशल और प्रिविलेज्ड पार्टनरशिप करार दिया गया. इस परिस्थिति में मोदी सरकार के लिए बेहद अहम है कि अमेरिका में ट्रंप प्रसाशन से बातचीत से पहले वह मौजूदा स्थिति का आंकलन करते हुए रूस से अपने रिश्तों पर स्पष्ट राय बना ले.

भारत-रूस व्यापार में गिरावट

1990-91 तक भारत और रूस के बीच मजबूत कारोबार था. 1990 तक भारत में बने उत्पाद का सबसे प्रमुख एक्सपोर्ट डेस्टिनेशन सोवियत संघ था. और दोनों ही देश एक-दूसरे के बड़े ट्रेडिंग पार्टनर थे. लेकिन धीरे-धीरे दोनों देशों के बीच कारोबार सिमटने लगा. 2015 में महज $1.6 बिलियन का भारतीय एक्सपोर्ट रूस को हुआ था जबकि अमेरिका को $40.3 बिलियन का एक्सपोर्ट हुआ था. वहीं 2015 में ही रूस से भारत को महज $4.5 बिलियन का इंपोर्ट हुआ था जबकि चीन से इपोर्ट $61.6 बिलियन का था. लिहाजा, 1990 के बाद जहां रूस देश का सबसे अहम ट्रेडिंग पार्टनर था, मौजूदा समय में एक्सपोर्ट पार्टनर अमेरिका बन चुका है और इंपोर्ट पार्टनर चीन है.

रूस की चीन-पाकिस्तान से नजदीकी

बीते एक दशक के दौरान भारत-रूस रिश्तों को सबसे बड़ा झटका रूस की चीन और पाकिस्तान से बढ़ती नजदीकी से पहुंचा है. गौरतलब है कि बीते दिनों रूस ने पाकिस्तान को जहां सैन्य सहायता देने के लिए करार किए हैं वहीं चीन के साथ उसने हिंद महासागर में भारत के प्रभाव की कीमत पर चीन के वर्चस्व को बढ़ाने का काम किया है. लिहाजा, मोदी और पुतिन के बीच होने वाली मुलाकात भारत-रूस रिश्तों के इन तीन अहम पक्षों को नए सिरे से परिभाषित करते हुए नई दिशा देने का काम करेगी. वहीं भारत और रूस के बीच रिश्तों को अगर नई परिभाषा दी जाती है तो मोदी और ट्रंप के बीच होने वाली संभावित मुलाकात इस दिशा में बेहद अहम है.

Powered by themekiller.com anime4online.com animextoon.com apk4phone.com tengag.com moviekillers.com