मोदी की गेमचेंजर स्कीम, हर महीने खाते में आने वाले हैं पैसे

पिछले दिनों हिंदी बेल्ट के 3 राज्यों के विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के लिए अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी पड़ रही है. इस बीच सूत्रों का कहना है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले एक ऐसी योजना लाने की तैयारी कर रही है, जो चुनाव के दौरान ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकती है.

सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार की यह योजना किसानों की कर्जमाफी वाली योजना से भी दो कदम आगे हैं. इस स्कीम को UBI यानी Universal Basic Income स्कीम माना जा रहा है. इस स्कीम के दायरे में देश के सभी नागरिक आएंगे, इनमें किसान, व्यापारी और बेरोजगार युवा भी शामिल होंगे. इस योजना के तहत देश के हर नागरिक को 2,000 से 2,500 रुपये तक हर महीने दिए जा सकते हैं.

सरकार जीरो इनकम वाले सभी नागरिकों के बैंक खातों में एक तयशुदा रकम सीधा ट्रांसफर करेगी. जीरो इनकम वाले नागरिकों का मतलब साफ है कि वो नागरिक जिनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं है.

सरकार किसानों के लिए सरकार एक अलग स्कीम लाने पर भी विचार कर रही है जिसके तहत कम कीमत पर फसल बेचने वाले किसानों के नुकसान की भरपाई की जाएगी. नुकसान की भरपाई के लिए जो भी रकम दी जाएगी, वो सीधे किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी.

सूत्रों के अनुसार पीएमओ में जल्दी ही अलग-अलग मंत्रालयों के साथ बैठक भी करेगा जिससे  जल्दी से जल्दी स्कीम का खाका तैयार किया जा सके.

खाते में कैसे आएगा पैसा?

यूनिवर्सल बेसिक इनकम योजना को लागू करने के लिए आधार नंबर का इस्तेमाल किया जाएगा. योजना में शामिल होने वाले नागरिक के बैंक खाते को आधार नंबर से लिंक किया जाएगा और फिर सरकार की ओर से दिए जाने वाले पैसे को सीधे उसके खाते में ट्रांसफर कर दिया जाएगा. अभी तक घरेलू गैस सिलेंडर पर मिलने वाली सब्सिडी खाते में ट्रांसफर होती थी, लेकिन हो सकता है कि इस स्कीम के लागू होने के बाद हर तरह की सब्सिडी बंद कर दी जाए.

लंदन के एक प्रोफेसर का था आइडिया

यूबीआई का सुझाव सबसे पहले लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गाय स्टैंडिंग ने दिया था जिनकी अगुवाई में मध्य प्रदेश के इंदौर के पास 8 गांवों में पांच साल के लिए एक पायलट प्रोजेक्ट चलाया गया. ट्रायल के तौर पर इन गांवों की 6,000 की आबादी के बीच 2010 से 2016 के बीच इस प्रोजेक्ट को चलाया गया. फिर 500 रुपये गांव वालों के बैंक खाते में हर महीने डाले गए. वहीं बच्चों के खाते में 150 रुपये जमा कराए गए. इससे लोगों को काफी फायदा हुआ.

प्रयोग के सफल होने के बाद प्रोफेसर स्टैंडिंग ने दावा किया कि मोदी सरकार इस स्कीम को लागू करने के लिए गंभीर है. शुरुआत में इस स्कीम के तहत आर्थिक सर्वे 2011 के आधार पर लोगों को शामिल किया सकता है.

इस स्‍कीम की चर्चा लंबे समय से की जा रही थी, लेकिन कहा जा रहा है कि हाल ही में विभिन्न मंत्रालयों से इस संबंध में राय मांगी गई है. इस स्कीम के तहत करीब 10 करोड़ लोग शामिल हो सकते हैं. साल 2016-17 के आर्थिक सर्वे में सरकार को इस स्कीम को लागू करने की सलाह दी गई थी. उम्‍मीद की जा रही है कि नए साल के बजट में इस बड़ी योजना का एलान हो सकता है.

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