भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उर्जा उपभोक्ता है। इसकी उर्जा जरूरतें इस दशक के अंत तक दोगुनी हो जाएंगी, क्योंकि यह आर्थिक विकास के एक अभूतपूर्व दौर का गवाह बन रहा है। यह बात देश के सबसे अमीर व्यक्ति मुकेश अंबानी ने शनिवार को कही।
पंडित दीनदयाल उर्जा विश्वविद्यालय (पीडीईयू) के दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए अंबानी ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था 2047 तक मौजूदा 3.5 ट्रिलियल अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 40 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर की हो जाएगी। उन्होंने कहा, इस विकास को गति देने के लिए भारी मात्रा में (स्वच्छ, हरित उर्जा) उर्जा की जरूरत होगी। अरबपति कारोबारी ने कहा, भारत की उर्जा जरूरत इस दशक के अंत तक दोगुनी होने वाली है।
अंबानी अपने सबसे बड़े जीवाश्म-ईंधन प्रधान समूह को स्वच्छ उर्चा की ओर मोड़ रहे हैं। नए उर्जा पारिस्थितिकी तंत्र के लिए वह गीगा कारखानों में अरबों डॉलर का निवेश कर रहे हैं, ताकि नवीकरणीय उर्जा और हरित हाइड्रोजन का उत्पादन किया जा सके। दीक्षांत समारोह में उन्होंने आगे कहा कि अगले पच्चीस वर्षों में भारत आर्थिक विकास का एक अभूतपूर्व विस्फोट देखेगा और यह एक स्वच्छ, हरित और टिकाऊ कल की कल्पना को हकीकत में बदलने के लिए कठिन घड़ी है।
उन्होंने कहा, भारत अपने उर्जा लक्ष्यों को हासिल करने के लिए एक मजबूत उरजा बुनियादी ढांचा तैयार करने की दौड़ में हैं। ऐसे में उसके सामने तीन महत्वपूर्ण सवाल हैं। पहला, यह कैसे सुनिश्चित किया जा सकता है कि भारत के हर नागरिक को आर्थिक गतिविधि के लिए सबसे किफायती और पर्याप्त उर्जा तक पहुंच प्राप्त हो? दूसरा, यह जीवाश्म ईंधन आधारित उर्जा से स्वच्छ और हरित उर्जा में तेजी से कैसे परिवर्तित हो सकता है? तीसरा, यह अस्थिर बाहरी वातावरण से अपनी तेजी से बढ़ रही अर्थव्यवस्था की बढ़ती जरूरतों को कैसे कम कर सकता है?
उन्होंने कहा कि भारत को हरित, सतत और समावेशी विकास के क्षेत्र में वैश्विक नेता बनाने के लिए ऊर्जा संक्रमण (ट्रांजिशन) सबसे महत्वपूर्ण कारक बन गया है। उन्होंने भारत में इस समस्या से निपटने के लिए स्मार्ट और टिकाऊ समाधान विकसित करने का भरोसा जताया और कहा कि यह संभव होगा अगर बेहद प्रतिभाशाली युवा मन में जलवायु संकट से निपटने की ठान लें। उन्होंने कहा, ‘वे (प्रतिभाशाली युवा) न केवल एक मजबूत और आत्मनिर्भर भारत, बल्कि एक सुरक्षित और स्वस्थ ग्रह बनाने के लिए महत्वपूर्ण ऊर्जा समाधान तैयार करेंगे।’