मास्को, मास्को के चाकालोवस्की एयरपोर्ट पर उतरे तीन उड़ानों में से एक में रूस व अफगानिस्तान के नागरिकों को लाया गया है। दरअसल तीन रूसी सैन्य ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट को काबुल में मानवीय सहायता पहुंचाने व वहां फंसे रूस, किर्गिस्तान और अफगान के विद्यार्थियों को निकाल कर लाने के लिए भेजा गया था। स्पूतनिक न्यूज एजेंसी के अनुसार 214 यात्रियों को लेकर काबुल से प्लेेन रवाना हुई।

रूस के रक्षा मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई कि अफगानिस्तानी व रूसी नागरिकों को लेकर पहलेे प्लेन की लैंडिंग चकालोवस्की एयरपोर्ट पर हुई। यहां उतरने के बाद इन यात्रियों का कस्टम चेक किया गया और कोविड-19 टेस्ट से जुड़ी प्रक्रिया भी जारी है।
करीब तीन माह पहले तालिबान ने अफगानिस्तान की सत्ता पूरी तरह हथिया ली और लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुने गए सरकार को बाहर कर दिया। इसके बाद तालिबान ने अपने अंतरिम सरकार का गठन किया। इस बीच तालिबान ने दुनिया को अफगानिस्तान की बेहतर तस्वीर की भरसक कोशिश की ताकि इसे वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सके। लेकिन विशेषज्ञों ने कहा कि तालिबान के काबिज होते ही काबुल एयरपोर्ट पर जो मंजर था वह हालात इसके लिए काफी था कि आतंकी समूह अपने हिंसक प्रवृति के साथ देश में वापस आए हैं।
बता दें कि सितंबर माह में जर्मनी के राष्ट्रपति ने तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान में फंसे जर्मन नागरिकों को वहां से विमान से स्वदेश लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले कमांडर को देश के सर्वोच्च पुरस्कार से सम्मानित किया। जर्मनी की सेना ने अगस्त में अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद काबुल से 45 देशों के 5300 से ज्यादा नागरिकों को निकाला। इस तहत वैश्विक अभियान में 1,20,000 से ज्यादा लोग विमान के जरिए अफगानिस्तान से निकाले गए।
इस क्रम में ब्रिटेन ने अमेरिका से काबुल से लोगों के निकासी अभियान की समय सीमा बढ़ाने का आग्रह किया था। कुछ ब्रिटिश सैन्य अधिकारियों ने अगस्त में यहां तक कहा था कि अमेरिकियों की वापसी के बाद भी ब्रिटेन को काबुल एयरपोर्ट पर अपने सैनिकों को रखना चाहिए।
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