कालका-शिमला रेल सेक्शन की दो फीट छह इंच नैरो गेज लाइन पर नौ नवंबर 1903 से टॉय ट्रेनों का संचालन हो रहा है। इस रेलमार्ग में 103 सुरंगें और 869 पुल बने हुए हैं। इस मार्ग पर 919 घुमाव आते हैं। इनमें से सबसे तीखे मोड़ पर ट्रेन 48 डिग्री के कोण पर घूमती है जोकि सैलानियों को काफी रोमांचित करती है।
मानसून के दौरान विश्व धरोहर कालका-शिमला सेक्शन पर ट्रेनों का संचालन प्रभावित न हो। इसके लिए रेलवे ने अभियान शुरू कर दिया है। इसके तहत उक्त सेक्शन पर आने वाले पुलों, सुरंगाें और संकरे रास्तों का निरीक्षण आरंभ किया गया है जिससे बारिश के पानी की निकासी सुचारु ढंग से हो सके और रेलवे ट्रैक और रास्ते को कोई नुकसान न हो।
इसके लिए विशेष टीमों का गठन किया गया है जोकि उक्त सेक्शन पर आने वाले पुलों की नींव और ढांचे की मजबूती के लिए कार्य करेंगी। वहीं यह टीमें निरीक्षण के बाद नजर आई किसी खामी को दूर करेंगी। इस संबंध में रोजाना रिपोर्ट मुख्यालय स्तर पर दी जाएगी।
तीन माह बंद रहा था सेक्शन
पिछले वर्ष बारिश और भूस्खलन के कारण कालका-शिमला रेल सेक्शन को काफी नुकसान हुआ था। यह परेशानी कालका से सोलन के बीच आई थी। इस दौरान समर हिल और जतोग के बीच रेलवे का पुल बह गया था और मिट्टी खिसकने से रेल पटरी हवा में लटक गई थी। रेलवे ट्रैक सहित अन्य सुविधाओं को दुरुस्त करने में लगभग ढाई से तीन माह का समय लग गया था। मरम्मत कार्य की निगरानी मंडल रेल प्रबंधक के मार्गदर्शन और विशेषज्ञों की निगरानी में हुई थी।
13 करोड़ हुए थे खर्च
कालका-शिमला रेल सेक्शन को दुरुस्त करने में 13 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। इस दौरान कई जगह रेलवे ट्रैक को नए सिरे से डाला गया। वहीं बारिश के दौरान बार-बार मिट्टी न खिसके, इसके लिए भी बेस तैयार किया गया है। सबसे बड़ी उपलब्धि समर हिल और जतोग के बीच स्थापित किया गया नया रेल पुल था जोकि विशेष धातु से निर्मित किया गया था और किसी भी मौसम से निपटने में सक्षम था। लेकिन कुछ दिन पहले मिट्टी दरकने से इस पुल से ही ट्रेनों का संचालन बंद किया गया था।
121 साल से जारी संचालन
कालका-शिमला रेल सेक्शन की दो फीट छह इंच नैरो गेज लाइन पर नौ नवंबर 1903 से टॉय ट्रेनों का संचालन हो रहा है। इस रेलमार्ग में 103 सुरंगें और 869 पुल बने हुए हैं। इस मार्ग पर 919 घुमाव आते हैं। इनमें से सबसे तीखे मोड़ पर ट्रेन 48 डिग्री के कोण पर घूमती है जोकि सैलानियों को काफी रोमांचित करती है। इस सेक्शन पर 16 स्टेशन बने हुए हैं। इनमें टकसाल, गुम्मन, कोटी, सनवारा,धर्मपुर, कुमारहट्टी, बड़ोग, सोलन, सलोगड़ा, कंडाघाट,कनोह, कैथलीघाट, शोघी, तारादेवी, जतोग व समर हिल रेलवे स्टेशन हैं।
मानसून के दौरान कालका-शिमला रेल सेक्शन कई बार प्रभावित हो जाता है। इसलिए इस बार विशेष अभियान चलाकर ऐसे प्वाइंट्स देखे जा रहे हैं, जहां खामियां हैं ताकि उन्हें समय रहते दुरुस्त किया जा सके। इसके लिए टीमें लगाई गई हैं। बारिश के दौरान ट्रेनों का संचालन प्रभावित न हो, इसके लिए भी उचित कदम उठाए जा रहे हैं।