बांधवगढ़ के ताला में चल रहे हाथी महोत्सव में बिहार के सोनपुर मेले से खरीदकर लाई गई मादा हाथी अनारकली भी अपनी तीन संतानों के साथ मौजूद है। संतानों को अनारकली, उस समय लाड़ करती दिखी, जब उसे चरणगंगा नदी में स्नान के लिए ले जाया गया। इसके बाद जब अनारकली की संतान सूर्या, गणेश और लक्ष्मी की तेल से मालिश की गई, तब भी अनारकली साथ में ही रही।
महोत्सव स्थल पर जब अनारकली और उसकी संतानों को लाया गया, तब भी वह सूंड़ से फल उठाकर अपने बच्चों को पहले खिला रही थी। अनारकली को वर्ष 1978-79 में मेले से खरीदकर यहां लाया गया था। वह जंगल की गश्त में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
अनारकली सबसे उम्रदराज मादा हाथी
बांधवगढ़ में नर हाथियों में 76 साल का गौतम सबसे उम्रदराज है, जिसका जन्म आजादी के पहले वर्ष 1946 में हुआ था। उसे 1978 में कान्हा से लाया गया था। मादा में 58 साल की अनारकली सबसे बुजुर्ग है।
जंगलों से पकड़े गए थे पांच हाथी बांधवगढ़ में हाथियों का कुनबा बड़ा करने में जंगल से पकड़े गये हाथियों का भी विशेष योगदान है। इनमें से काजल, श्याम, लक्ष्मण व नील को सीधी और रामा को अनूपपुर के जंगल से पकड़कर लाया गया था। ये सभी जंगली हाथी थे और अपने झुंड से भटकने के बाद जंगल और जंगल से लगे गांवों में आतंक का पर्याय बन गए थे। इन हाथियों की वजह से भारी नुकसान हो रहा था। इन्हें बांधवगढ़ की टीम ने पकड़ा और प्रशिक्षित किया।
चार दिन और होगी सेवा
बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान में हाथियों को उनका प्रिय भोज गुड़ और गन्ना, आटे से बने मोटे रोट खिलाए जा रहे हैं। इसके अलावा केला, सेब सहित दूसरे फल भी खाने को दिए जा रहे हैं। महोत्सव के दौरान रोजाना हाथियों को स्नान कराने के बाद तेल मालिश और विशेष श्रृंगार किया जा रहा है। शनिवार से शुरू हुए बांधवगढ़ गज महोत्सव का समापन दो सितंबर को होगा।