मध्यप्रदेश के देवास जिले का नाम आते ही मां चामुंडा और तुलजा भवानी टेकरी का स्मरण हो आता है। शारदीय नवरात्र प्रारंभ होते ही देर रात से यहां भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। मां के दर्शनों के लिए इंदौर, उज्जैन, भोपाल शहर सहित दूसरे प्रदेशों से भी भक्त यहां पहुंचते हैं। देवास का नाम ही दो देवियों का वास से प्रचलन में आया है। ऊंचे भवन पर विराजित करोड़ों लोगों की आस्था का यह सदन बरसों पहले ऋषि-मुनियों की तपोस्थली भी रहा है। कहा जाता है कि देवास की दो रियासतों के राजाओं की कुल देवियों के मंदिर स्थापित हैं। साल में चैत्र और शारदीय नवरात्रि में देशभर से लाखों श्रद्धालु माता टेकरी पर आकर मां के दरबार में शीश नवाते हैं। सच्चे मन से मांगी गई मुरादें मां के दरबार में प्राचीन समय से पूरी होती आई हैं। यहां मंदिरों में 34 साल पहले तक होती थी 'मालवी चित्रों' की घटस्थापना यह भी पढ़ें देवास नगर का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष प्राचीन है। अभी तक मिले प्रमाणों के अनुसार पहाड़ी पर स्थित मां चामुंडा देवी की मूर्ति लगभग दसवीं शताब्दी की बताई जाती है। इंदौर की सोनल ने केबीसी में जीते 6 लाख 40 हजार यह भी पढ़ें टेकरी पर एक सुरंग भी है जिससे करीब दो हजार साल पूर्व के इतिहास की जानकारी मिलती है। बताया जाता है कि यह उज्जैन और देवास के बीच गुप्त रूप से आने-जाने के लिए तैयार की गई थी। इस 45 किमी लंबी सुरंग का दूसरा छोर उज्जैन की भर्तहरि गुफा के पास निकलता है। किंवदंती कथा तो यह भी है कि उस समय उज्जैन के राजा भर्तहरि मां चामुंडा की आराधना के लिए आते थे। MP के मंदिर में 55 मिमी की दुर्गा प्रतिमा यह भी पढ़ें मां तुलजा भवानी (बड़ी माता) टेकरी पर दक्षिण दिशा की ओर मां तुलजा भवानी यानी बड़ी माता का मंदिर स्थित है। इतिहासकारों के मुताबिक यह मंदिर भी चामुंडा माता मंदिर के समकालीन है। मंदिर में तुलजा माता की आधी प्रतिमा (ऊपरी हिस्सा) है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां तुलजा और मां चामुंडा दोनों बहनें हैं। प्राचीन समय में यह मंदिर छोटा लेकिन अब यहां प्रशासन द्वारा काफी निर्माण कार्य करवाकर इसे दर्शनार्थियों के सुविधाजनक बनाया गया है। MP में तीसरे मोर्चे की मौजूदगी से होगा वोटों का बिखराव, 17 फीसदी तक है वोट बैंक यह भी पढ़ें मां चामुंडा (छोटी माता) मध्‍यप्रदेश में सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार में होंगे करोड़ों खर्च यह भी पढ़ें टेकरी पर उत्तर दिशा की ओर मां चामुंडा का मंदिर है। यह देवास सीनियर रियासत के राजाओं की कुलदेवी के रूप में पूजी जाती हैं। इतिहास में उल्लेखित जानकारी के अनुसार मां चामुंडा की प्रतिमा चट्टान में उकेरकर बनाई गई है। पुराविदों ने इस प्रतिमा को परमारकालीन बताया है।

मां चामुंडा और तुलजा भवानी को दर्शन के लिए लगी भक्तों की भीड़

मध्यप्रदेश के देवास जिले का नाम आते ही मां चामुंडा और तुलजा भवानी टेकरी का स्मरण हो आता है। शारदीय नवरात्र प्रारंभ होते ही देर रात से यहां भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। मां के दर्शनों के लिए इंदौर, उज्जैन, भोपाल शहर सहित दूसरे प्रदेशों से भी भक्त यहां पहुंचते हैं। मध्यप्रदेश के देवास जिले का नाम आते ही मां चामुंडा और तुलजा भवानी टेकरी का स्मरण हो आता है। शारदीय नवरात्र प्रारंभ होते ही देर रात से यहां भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। मां के दर्शनों के लिए इंदौर, उज्जैन, भोपाल शहर सहित दूसरे प्रदेशों से भी भक्त यहां पहुंचते हैं।  देवास का नाम ही दो देवियों का वास से प्रचलन में आया है। ऊंचे भवन पर विराजित करोड़ों लोगों की आस्था का यह सदन बरसों पहले ऋषि-मुनियों की तपोस्थली भी रहा है। कहा जाता है कि देवास की दो रियासतों के राजाओं की कुल देवियों के मंदिर स्थापित हैं। साल में चैत्र और शारदीय नवरात्रि में देशभर से लाखों श्रद्धालु माता टेकरी पर आकर मां के दरबार में शीश नवाते हैं। सच्चे मन से मांगी गई मुरादें मां के दरबार में प्राचीन समय से पूरी होती आई हैं।   यहां मंदिरों में 34 साल पहले तक होती थी 'मालवी चित्रों' की घटस्थापना यह भी पढ़ें    देवास नगर का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष प्राचीन है। अभी तक मिले प्रमाणों के अनुसार पहाड़ी पर स्थित मां चामुंडा देवी की मूर्ति लगभग दसवीं शताब्दी की बताई जाती है।   इंदौर की सोनल ने केबीसी में जीते 6 लाख 40 हजार यह भी पढ़ें  टेकरी पर एक सुरंग भी है जिससे करीब दो हजार साल पूर्व के इतिहास की जानकारी मिलती है। बताया जाता है कि यह उज्जैन और देवास के बीच गुप्त रूप से आने-जाने के लिए तैयार की गई थी। इस 45 किमी लंबी सुरंग का दूसरा छोर उज्जैन की भर्तहरि गुफा के पास निकलता है। किंवदंती कथा तो यह भी है कि उस समय उज्जैन के राजा भर्तहरि मां चामुंडा की आराधना के लिए आते थे।     MP के मंदिर में 55 मिमी की दुर्गा प्रतिमा यह भी पढ़ें  मां तुलजा भवानी (बड़ी माता)  टेकरी पर दक्षिण दिशा की ओर मां तुलजा भवानी यानी बड़ी माता का मंदिर स्थित है। इतिहासकारों के मुताबिक यह मंदिर भी चामुंडा माता मंदिर के समकालीन है। मंदिर में तुलजा माता की आधी प्रतिमा (ऊपरी हिस्सा) है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां तुलजा और मां चामुंडा दोनों बहनें हैं। प्राचीन समय में यह मंदिर छोटा लेकिन अब यहां प्रशासन द्वारा काफी निर्माण कार्य करवाकर इसे दर्शनार्थियों के सुविधाजनक बनाया गया है।   MP में तीसरे मोर्चे की मौजूदगी से होगा वोटों का बिखराव, 17 फीसदी तक है वोट बैंक यह भी पढ़ें    मां चामुंडा (छोटी माता)   मध्‍यप्रदेश में सोशल मीडिया पर चुनाव प्रचार में होंगे करोड़ों खर्च यह भी पढ़ें  टेकरी पर उत्तर दिशा की ओर मां चामुंडा का मंदिर है। यह देवास सीनियर रियासत के राजाओं की कुलदेवी के रूप में पूजी जाती हैं। इतिहास में उल्लेखित जानकारी के अनुसार मां चामुंडा की प्रतिमा चट्टान में उकेरकर बनाई गई है। पुराविदों ने इस प्रतिमा को परमारकालीन बताया है।

देवास का नाम ही दो देवियों का वास से प्रचलन में आया है। ऊंचे भवन पर विराजित करोड़ों लोगों की आस्था का यह सदन बरसों पहले ऋषि-मुनियों की तपोस्थली भी रहा है। कहा जाता है कि देवास की दो रियासतों के राजाओं की कुल देवियों के मंदिर स्थापित हैं। साल में चैत्र और शारदीय नवरात्रि में देशभर से लाखों श्रद्धालु माता टेकरी पर आकर मां के दरबार में शीश नवाते हैं। सच्चे मन से मांगी गई मुरादें मां के दरबार में प्राचीन समय से पूरी होती आई हैं।

देवास नगर का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष प्राचीन है। अभी तक मिले प्रमाणों के अनुसार पहाड़ी पर स्थित मां चामुंडा देवी की मूर्ति लगभग दसवीं शताब्दी की बताई जाती है।

टेकरी पर एक सुरंग भी है जिससे करीब दो हजार साल पूर्व के इतिहास की जानकारी मिलती है। बताया जाता है कि यह उज्जैन और देवास के बीच गुप्त रूप से आने-जाने के लिए तैयार की गई थी। इस 45 किमी लंबी सुरंग का दूसरा छोर उज्जैन की भर्तहरि गुफा के पास निकलता है। किंवदंती कथा तो यह भी है कि उस समय उज्जैन के राजा भर्तहरि मां चामुंडा की आराधना के लिए आते थे।

मां तुलजा भवानी (बड़ी माता)

टेकरी पर दक्षिण दिशा की ओर मां तुलजा भवानी यानी बड़ी माता का मंदिर स्थित है। इतिहासकारों के मुताबिक यह मंदिर भी चामुंडा माता मंदिर के समकालीन है। मंदिर में तुलजा माता की आधी प्रतिमा (ऊपरी हिस्सा) है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां तुलजा और मां चामुंडा दोनों बहनें हैं। प्राचीन समय में यह मंदिर छोटा लेकिन अब यहां प्रशासन द्वारा काफी निर्माण कार्य करवाकर इसे दर्शनार्थियों के सुविधाजनक बनाया गया है।

मां चामुंडा (छोटी माता)

टेकरी पर उत्तर दिशा की ओर मां चामुंडा का मंदिर है। यह देवास सीनियर रियासत के राजाओं की कुलदेवी के रूप में पूजी जाती हैं। इतिहास में उल्लेखित जानकारी के अनुसार मां चामुंडा की प्रतिमा चट्टान में उकेरकर बनाई गई है। पुराविदों ने इस प्रतिमा को परमारकालीन बताया है।

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