अपोलो क्रै डल के Bangalore, Hyderabad and Delhi स्थित सभी केंद्रों पर 12 से 18 मई 2019 तक महिलाओं के स्वास्थ्य परीक्षण पर 50 प्रतिशत छूट की सुविधा दी जा रही है.
अपोलो क्रेडल ने एक बयान में कहा कि कहा जाता है कि मां सोती नहीं है वह केवल अपनी आंखें बंद करके चिंता करती रहती हैं. इससे मां का अपने बच्चों के प्रति प्रेम और उनके लिए किए गए बलिदान का पता चलता है.
अपोलो क्रेडल ने कहा कि इस अवसर पर मनोरंजक गतिविधियों के साथ ही पैरों का Spa, photo, entertainment and doctors से सलाह शामिल है.
मां की सेहत का रखें ख्याल, जिसने आप पर किया सेहत कुर्बान
बच्चे के जन्म लेने से लेकर सालों साल परिवार का ख्याल रखने की जिम्मेदारियों के बीच भागती-दौड़ती मांएं सुपरहीरोज होती हैं. सबकी उम्मीदों पर खरा उतरने के लिए वह सिर्फ अपना आराम ही नहीं, बल्कि अपनी सेहत भी कुर्बान कर देती हैं. ऐसे में अब आपकी बारी है कि मां की सेहत का ख्याल रखें.
Max Hospital, Saket Orthopedics की डायरेक्टर रमणीक महाजन ने कहा कि भारतीय महिलाएं 50 की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते घुटने और बोन मास का डिजनरेशन की समस्या से जूझने लगती हैं. भारतीय महिलाओं में आर्थराइटिस के जल्दी होने की वजह पोषक तत्वों की कमी और मोटापा है.
यहां पेश है रमणीक महाजन का सुझाव जिसे अपनाकर माताओं का बेहतर ख्याल रख सकते हैं.
1. जल्द पहचानें चेतावनी संकेत : आपने कई बार अपनी मां को जोड़ों के दर्द, अकड़न को लेकर शिकायत करते हुए और फिर उम्र बढ़ने का संकेत मानकर इसे नजरअंदाज करते हुए देखा होगा. ऐसे में विशेषज्ञ से विचारविमर्श करें. घुटनों में सुबह-सुबह दर्द, अकड़न, लॉकिंग एवं पॉपिंग से शुरुआत होने से लेकर जोड़ों में सूजन होने तक, यह आर्थराइटिस के संकेत हो सकते हैं जोकि एक प्रगतिशील ज्वाइंट स्थिति है और अधिकतर भारतीय महिलाएं इन संकेतों को नजरअंदाज करती हैं.
2. सही समय पर पहचान : महिलाएं तभी डॉक्टर के पास जाती हैं जब यह स्थिति ऐसे स्टेज में पहुंच जाती है जब दर्द असहनीय हो जाता है. याद रखें कि देरी होने से जोड़ों को होने वाला नुकसान कई गुणा बढ़ा सकता है. यदि इसका शुरुआती चरणों में इलाज हो जाए, तो पारंपरिक उपचारों की मदद से इस स्थिति को बढ़ने में विलंब किया जा सकता है.
3. वजन पर नजर : ओवरवेट होना भारतीय महिलाओं में आर्थराइटिस होने के सबसे प्रमुख जोखिम घटकों में से एक है. हमारे जोड़ कुछ हद तक वजन उठाने के लिए डिजाइन हैं. प्रत्येक 1 किलो अतिरिक्त वजन घुटनों पर चार गुना दबाव डाल सकता है. क्षमता से अधिक वजन जोड़ों को नुकसान पहुंचा सकता है इसलिए उचित वजन का मतलब है स्वस्थ जोड़.
5. छोटी-मोटी चोटों को गंभीरता से लें : हम जोड़ों के आसपास लगी छोटी-मोटी चोटों को अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं. इससे हानिकारक स्थितियां पैदा हो सकती हैं, जैसे भविष्य में आर्थराइटिस हो सकता है. यदि दर्द बार-बार हो रहा है तो विशेषज्ञ की सलाह लें. हम अक्सर ऐसे मरीजों को देखते हैं जहां ज्वाइंट इंजरी ज्वाइंट डिजनरेशन का कारण बन जाती हैं.
6. शरीर के पॉश्चर पर रखें नजर : गलत पॉश्चर से जोड़ों, खासतौर से घुटने पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है. घुटने शरीर में सबसे अधिक भार सहन करने वाले जोड़ हैं. इससे घुटने में दर्द हो सकता है. सही पॉश्चर रखना, काम के दौरान बीच-बीच में ब्रेक लेना, नियमित रूप से स्ट्रेचिंग करना और अपने पॉश्चर को बीच-बीच में ठीक करने से घुटने के दर्द को कम करने में मदद मिलती है.
7. पेनकिलर्स को कहें ना : हमारे देश में खुद से दवाएं लेना एक आम समस्या है. आमतौर पर, हम अक्सर शरीर में दर्द होने पर डॉक्टर से सलाह लिए बिना पेनकिलर्स का सहारा लेते हैं. पेनकिलर्स भले ही हमें दर्द से फौरन राहत दिलाते हैं पर, वह स्थिति का उपचार नहीं करते. इससे कई को-मॉर्बिड स्थितियां पैदा हो सकती हैं इसलिए यदि आप अपनी मॉम को जोड़ों के दर्द के लिए खुद से पेनकिलर्स लेते हुए देखें, तो Immediate Orthopedist के पास जाकर उनका परीक्षण कराएं.